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संविधान की भावना के अनुरूप काम करें कार्यपालिका, विधायिका व न्यायपालिका

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने देश के संविधान की भावना के अनुरूप आम लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका से आपसी सामंजस्य के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाने को कहा है। संविधान अंगीकार किए जाने के 75 वर्ष पूर्ण होने के ऐतिहासिक मौके पर राष्ट्रपति ने संविधान को देश का सबसे पवित्र ग्रंथ बताते हुए कहा कि वास्तव में यह एक जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज है। इसके माध्यम से ही भारत ने सामाजिक न्याय व समावेशी विकास के बड़े लक्ष्यों को हासिल किया है।

संविधान दिवस के मौके पर संविधान भवन के केंद्रीय कक्ष में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इसी ऐतिहासिक सेंट्रल हाल में संविधान सभा ने एक नए स्वतंत्र देश के लिए संविधान बनाने का बड़ा काम पूरा किया और सही मायने में यह हमारे स्वतंत्रता संग्राम के लंबे संघर्ष का परिणाम था। इस अतुलनीय राष्ट्रीय आंदोलन के

• राष्ट्रपति ने सविधान को बताया देश का सबसे पवित्र व प्रगतिशील ग्रंथ

• संविधान के संस्कृत व मैथिली संस्करणों की प्रति और एक विशेष डाक टिकट भी जारी

संविधान दिवस का आयोजन शुरू होने से युवाओं में संविधान के प्रति जागरूकता बढ़ी है व युवाओं का उत्साह देश के भविष्य के प्रति हमें आश्वस्त करता है।

द्रौपदी मुर्मु, राष्ट्रपति

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