लेकिन सिख समुदाय, खासकर सिखों की युवा पीढ़ी आज भी जत्थेदार मानती है
लेकिन सिख समुदाय, खासकर सिखों की युवा पीढ़ी आज भी जत्थेदार मानती है
बेशक, बाबा बलजीत सिंह जी दादूवाल ने गुरु साहिब के चरणों में सरबत खालसा द्वारा चुने गए जत्थेदारी के पद से इस्तीफा दे दिया था
नवंबर 2015 में चंबा पंजाब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अपमान के विरोध में सरबत खालसा का आह्वान किया गया था । चम्बा की धरती पर 10 लाख से ज्यादा सिख मौजूद थे । जहां जयकारों के बीच सिख संगत द्वारा बाबा बलजीत सिंह दादूवाल जी को श्री दम्मा साहिब का जत्थेदार चुना गया था । बेशक, जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल जी श्री दमदमा साहिब पहुंचे और गुरु के चरणों में जत्थेदार का इस्तीफा सौंप दिया । लेकिन युवा सिख पीढ़ी आज भी जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल को जत्थेदार के रूप में ही देखती है । क्योंकि जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल जी बेशक हरियाणा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रचार कमेटी के चेयरमैन हैं, लेकिन सिख समुदाय की सेवा और प्रचार-प्रसार के लिए वह एक विनम्र सिख की तरह समागम में शामिल होते हैं । अगर हम शिख कौम के लिए जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल जी के स्टैंड की बात करें तो गुरुद्वारा श्री खिचड़ी साहिब से ज्यादा प्रशासन के लिए कोई मुद्दा विवादास्पद नहीं था, लेकिन जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल जी के अपार प्रयासों के कारण तीन महीने के भीतर ही प्रशासन द्वारा गुरुद्वारा साहिब का प्रबंधन शिख सगत को सौंप दिया गया
वहीं, अगर हरियाणा में चल रहे धार्मिक शमागमौ की बात करें तो जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल जब से हरियाणा प्रचार-प्रसार कमेटी में चैयरमैन वने है तब से ही सिख समुदाय के प्रचार-प्रसार और युवा पीढ़ी को गुरु साहिब के सिद्धांतों से जोड़ने के लिए एक के बाद एक कार्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं। इन सभी कार्यों के कारण ही युवा सिख पीढ़ी आज भी जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल को जत्थेदार के रूप में देखती है।