राजगढ़ उपखंड क्षेत्र में अभी किसी बड़े हादसे का है इंतजार? जिम्मेदार अफसर मौन।
जिम्मेदार अफसरों की डायरी में अब तक खाना पूर्ति। शिक्षा विभाग के अधिकारियों और संचालकों की साठ गाठ
क्या कानून के नियम कायदे बिक चुके है..?
अलवर। राजगढ़ उपखंड अधिकारी सीमा खेतान ने पुलिस को निजी विधालयों में चल रही अवैध गाड़ियों को जप्त करने एवं प्रबंधकों के विरुद्ध कार्यवाही के आदेशों के बावजूद बच्चों को ढो रहें हैं अवैध वाहन।
अलवर जिले के राजगढ़ उपखंड क्षेत्र के गोलाकाबास सहित आसपास निजी स्कूलों के प्रबंधकों की लापरवाही और संबंधित शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं जिम्मेदार अधिकारियों की मूकदर्शक बने रहने के कारण अवैध रूप से मान्यता से ऊंची कक्षाएं लगाकर टाइअप स्कूल चल रहे हैं,कहीं दुकानों में तो कहीं चार कमरों में संचालित है, इतना ही नहीं अवैध रूप से संचालित वाहनों में खचाखच भर कर ढोया जा रहा है। गौरतलब रहे कि अभी गत दिनों ही राजगढ़ पंचायत समिति क्षेत्र के ग्राम गोलाकाबास के इंडियन पब्लिक स्कूल के अवैध वाहन से ही इसी स्कूल की एक बालिका की मौत हो जाने के बावजूद जिम्मेदार विभागीय अधिकारी और पुलिस प्रशासन आखिर क्यों चुप्पी साधे हुए हैं? क्या कानून के नियम कायदे बिक चुके है.?
*गौरतलब की बात है एक परिवार की बच्ची की मौत के बाद उस परिवार से क्या आपबीती बीत रही होगी अगर इसी प्रकार किसी नेता अधिकारियों के साथ हो जाने पर भी चुप्पी साधे बैठेंगे..?*
*ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक के ज्यादातर मामलों में जिम्मेदार प्रशासन की डायरी में खाना पूर्ति ही देखने को मिलती है जबकि धरातल पर नहीं ऐसा क्यों..?*
*निजी स्कूलों की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच हो*
क्षेत्र में दर्जनों स्कूल लगभग सभी नियमों को ताक में रखकर चल रहे हैं। जिसमें मान्यता से ऊंची कक्षाएं लगाकर टाइअप स्कूल चल रहे हैं,कहीं दुकानों में तो कहीं चार कमरों में संचालित है,खेल का मैदान न ही बच्चों को बैठने की बेहतर व्यवस्था, सरकार ने प्रत्येक ग्राम पंचायत के सीनियर सैकंडरी विद्यालय के प्रधानाचार्य को पंचायत शिक्षा अधिकारी का दर्जा देकर ग्राम पंचायत क्षेत्र में निजी सरकारी विद्यालयों की जांच मॉनिटरिंग के अधिकार दे रखे हैं। इसके बावजूद पंचायत शिक्षा अधिकारी ऐसे स्कूल संचालकों पर नकेल नहीं कस पा रहे हैं। इसकी बदौलत क्षेत्र में इस तरह के विद्यालय बेखौफ चल रहे हैं तो कहीं सांठ गांठ से नियमों को ताक पर रख कर चल रहे हैं।
*गोलाकाबास सहित आसपास के गांवों में शिक्षा के नाम पर स्कूलों के हालात*
1. गली कूचों में चाय-पान की दुकानों जैसे स्कूल खोले गए हैं, स्कूलों में सुविधा के नाम पर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है।
2. स्कूलों में अब व्यवसाय में परिवर्तित कर दिया गया है। हालात यह हैं कि शिक्षा कारोबारी धीरे-धीरे पूरे जिले में पैर पसारते जा रहे हैं। इन सब में खास बात यह है कि पोर्टल पर मनगढ़ंतजानकारी फीड़ कर विभाग के साथ धोखाधड़ी की जा रही है।
3. अधिकांश स्कूल मान्यता से ऊंची कक्षाएं लगाकर टाइअप स्कूल चल रहे हैं,
4. ग्राम पंचायत के सीनियर सैकंडरी विद्यालय के प्रधानाचार्य को पंचायत शिक्षा अधिकारी का दर्जा देकर ग्राम पंचायत क्षेत्र में निजी सरकारी विद्यालयों की जांच मॉनिटरिंग के अधिकार दे रखे हैं। इसके बावजूद पंचायत शिक्षा अधिकारीयों और स्कूल संचालकों की मिलीभगत के चलते स्कूल संचालकों पर नकेल नहीं कस पा रहे हैं।
5. शिक्षा विभाग के नियमानुसार बच्चों को शिक्षा देने वाले अध्यापक नहीं है केवल रिकॉर्ड में खानापूर्ति चली आ रही है।
6. अभिभावकों का शोषण किया जा रहा है और बच्चों को अवैध वाहनो में ठूस ठूस कर लांधा जा रहा है।
7. बच्चों के स्कूल आने जाने अध्ययन का नियमित समय तक नहीं।