काशी में शुरू हुआ माता अन्नपूर्णा का 17 दिवसीय महाव्रत, महंत ने भक्तों को दिया 17 गांठ वाला धागा, मां की आराधना से पूरी होती है मनोकामना
वाराणसी। जगत को अन्न-धन प्रदान करने वाली माता अन्नपूर्णा के 17 दिवसीय महाव्रत की शुरुआत मार्गशीर्ष की पंचमी तिथि बुधवार से हुई। माता के दर्शन-पूजन के लिए भक्तों की भीड़ मंदिर में उमड़ी। लोगों ने मां अन्नपूर्णा के दर्शन कर महंत शंकरपुरी से 17 गांठ वाला धागा प्राप्त किया। महाव्रत से भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
प्रथम दिन सुबह से ही मां अन्नपूर्णा के मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ी। लोगों ने मां का विधिविधान से दर्शन-पूजन और परिक्रमा की। इसके बाद महंत ने भक्तों को 17 गांठ वाला धागा प्रदान किया। इसे महिलाओं व पुरुषों को धारण करना होता है। इसे पहनकर इस महाव्रत को करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। महंत ने बताया कि मार्गशीर्ष की पंचमी तिथि से माता अन्नपूर्णा के विशेष व्रत की शुरुआत हुई।
उन्होंने बताया कि 17 दिनों तक चलने वाले व्रत के दौरान सुबह-शाम माता की पूजा करनी होती है। 17 गांठ वाले धागे को पुरुष दाये और महिलाएं बाये हांथ में बांधती हैं। उन्होंने कहा कि इस व्रत को करने से यदि व्यक्ति को कई अनुष्ठान करता है तो उसमें माता अन्नपूर्णा का आशीर्वाद और सफलता मिलती है। कोई भी पुरुष, कुंवारी कन्या, सुहागिन, लड़के इस व्रत को कर सकते हैं। यह व्रत 17 दिन, 17 माह और 17 साल के लिए होता है।
समापन के दिन धान की बालियों से मां का होगा श्रृंगार
माता अन्नपूर्णा के महाव्रत के समापन पर 17वें दिन 9 दिसंबर को होगा। उस दिन मंदिर का धान की बालियों से अद्भुत श्रृंगार किया जाएगा। पूर्वांचल के किसान अपनी पहली फसल मां को अर्पित करेंगे। उन्हीं बालियों से भव्य श्रृंगार किया जाएगा। ये बालियां भक्तों में प्रसाद स्वरूप वितरित भी की जाएंगी।