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यातायात नियमों की सजकता दुर्घटनाओं पर लगाएगी ब्रेक

सड़क दुर्घटना में सबसे अधिक मरने वाले लोग अपने देश के होते हैं। रोजाना 413 ऐसे लोग हैं जो कुशल घर से तो निकलते हैं लेकिन कभी सकुशल लौटकर नहीं आते। इससे ही समझ जाइए की सड़क सुरक्षा कितना गंभीर विषय है। सबसे अधिक जान युवाओं की जाती है। 18 से 45 वर्ष के बीच मरने वाले 69% है। प्रत्येक चार में तीन पुरुष एक महिला, गौर कीजिएगा यह मौतें किसी का परिवार तो उजाड़ ही रही है साथ ही देश की आर्थिक सेहत भी बिगड़ रही है। एकाएक परिवार से वह गायब हो जाते हैं। अकारण अचानक जरा सोचिए देश दुनिया में हर रोज घर से खेलते बच्चे स्कूल जाते हैं। लेकिन इनमें से रोजाना औसतन 500 आते नहीं है। उनके कभी ना आने की सूचना इस सप्ताह 12 नवंबर को कुछ ऐसी खबर आई थी कि मेरठ के परतापुर क्षेत्र से दसवीं के 16 वर्षीय एक छात्र की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद दैनिक जागरण ने सुरक्षित चले, सुरक्षित रहे,जागरूकता का एक अभियान चलाया। इसमें विशेषकर स्कूली बच्चों के लिए ट्रैफिक के विशेषज्ञों ने बच्चों को यातायात के नियमों के बारे में जागरूक किया। सेंसिटाइज किया। बताया गया की 18 वर्ष से कम उम्र में आपको ड्राइविंग लाइसेंस नहीं मिलेगा और बगैर डीएल वाहन चलाना दंडनीय अपराध है। इसमें कानून तोड़ने वालों के साथ उसके अभिभावक को भी सजा का प्रावधान है। एसपी ट्रैफिक, एसपी सिटी, ए एसपी पद के अधिकारियों ने शिविर में बच्चों के सवालों के जवाब दिए। स्कूलों को भी सचेत किया गया है कि वह बच्चों को दोपहिया, चार पहिया वाहन की अनुमति न दे साथ ही तय हुआ कि पुलिस भी चैकिंग अभियान चलाएगी। कुल मिलाकर जागरूकता का 8 दिन की समाचार की यह श्रृंखला और जागरूकता शिविर का मंगलवार को समापन हो गया। उम्मीद है कि जागरण के इस पुनीत प्रयास का सकारात्मक असर अवश्य दिखेगा।

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