नया रूपमें : अब्लोकरा कहानियाँ [संख्या ;तीन] ओडिया मठ अजोध्या एक खोज।
नया रूपमें : अब्लोकरा कहानियाँ
### **"ओडिया मठ , अजोध्या एक खोज।
#### **अध्याय 1: अयोध्या का आह्वान**
मुंबई के अपने जीवंत यूट्यूब स्टूडियो में, अबलोकरा और रिया अपनी अगली कहानी की योजना बना रहे थे। दीवारें उनकी पिछली यात्राओं से फोटो और नक्शों से सजी थीं, और टेबल पर कैमरे, लैपटॉप और नोटबुक्स का ढेर लगा हुआ था।
**अबलोकरा:** "रिया, क्या तुमने अयोध्या में ओडिया मठ के बारे में सुना है? यह एक प्राचीन मंदिर है जो 14वीं पीढ़ी से भी ज्यादा पुराना है, लेकिन अब यह जर्जर स्थिति में है और इसके पुनरुद्धार की जरूरत है।"
**रिया:** "ओडिया मठ? यह तो बहुत रोचक है। इसमें क्या खास बात है?"
**अबलोकरा:** "इसे परम प्राचीन सीता राम मंदिर के नाम से जाना जाता है और इसे एक ओडिया संन्यासी ने 200 साल से भी पहले स्थापित किया था। यह हमारे विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और कई लोग इसके इतिहास और वर्तमान स्थिति के बारे में नहीं जानते।"
**रिया:** "यह तो बहुत ही दिलचस्प है। अयोध्या स्वयं एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व का स्थान है। श्री राम, जो भगवान विष्णु के 7वें अवतार हैं, का जन्म वहीं हुआ था और यह हिंदू आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। मैंने कहीं पढ़ा था कि प्रतिदिन अयोध्या में लगभग 1 से 2 लाख लोग राम लला की पूजा करने आते हैं।"
**अबलोकरा:** "बिलकुल सही! अयोध्या सरयू नदी के तट पर स्थित है और इसका समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास है। और वहाँ सभी मंदिरों और मठों में से, ओडिया मठ की अपनी एक अनूठी कहानी है। राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के समय, श्री नागेन बिहारी नामक व्यक्ति, केंंद्रापाड़ा, ओडिशा से अयोध्या तक साइकिल से यात्रा कर राम लला के दर्शन करने आए थे। वह ओडिया मठ की जर्जर स्थिति देखकर स्तब्ध रह गए और कुछ करने का निर्णय लिया।"
**रिया:** "वाह, 1500 किलोमीटर की यात्रा साइकिल से करना कोई छोटा काम नहीं है। और यह जानना कि उन्होंने उस हालत में ओडिया मठ को पाया होगा, निश्चित रूप से दिल तोड़ने वाला रहा होगा। फिर उन्होंने क्या किया?"
**अबलोकरा:** "उन्होंने ओडिया लोगों के एक अच्छे समूह को इसके पुनरुद्धार के लिए संगठित किया। उन्होंने एक ट्रस्ट बनाया और मंदिर, मठ, गायों के आश्रय स्थल, और गुरुकुल के पुनः संचालन पर काम करना शुरू किया। वे वहाँ जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा, और सुदर्शन के साथ राम दरबार और राधा कृष्ण की भी पूजा करते हैं।"
**रिया:** "यह अद्भुत है। ऐसा लगता है कि वे स्थान की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक सार को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं। क्या उनके भविष्य के लिए कोई विशेष योजनाएँ हैं?"
**अबलोकरा:** "हाँ, उन्होंने सरयू नदी में जगन्नाथ धाम के नाम पर एक स्नान घाट बनाने का फैसला किया है। वे अगले साल अयोध्या में चतुर्द्ध मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा और जगन्नाथ रथ यात्रा की भी योजना बना रहे हैं। यह प्रयास जगन्नाथ धाम, पुरी और भक्ति धाम, अयोध्या के बीच एक पुल बनाने का उद्देश्य रखता है, जिससे भारत में हमारी विविधता में एकता की भावना मजबूत हो।"
**रिया:** "यह एक अविश्वसनीय कहानी है, अबलोकरा। यह आस्था, विरासत, और हमारी संस्कृति को संरक्षित करने के निरंतर प्रयास के बारे में है। हमें निश्चित रूप से इसे कवर करना चाहिए। यह न केवल दर्शकों को आकर्षित करेगा बल्कि ओडिया मठ के पुनरुद्धार के लिए जागरूकता और समर्थन भी बढ़ाएगा।"
**अबलोकरा:** "बिलकुल सही। चलो, अपना सामान पैक करते हैं और अयोध्या के लिए निकलते हैं। यह यात्रा न केवल एक रोमांचक अनुभव होगी बल्कि हमारी विरासत के एक भूले हुए हिस्से को पुनर्जीवित करने का एक मिशन भी होगा।"
निर्धारित उद्देश्य और उत्साह के साथ, अबलोकरा और रिया अयोध्या में ओडिया मठ की कहानी को उजागर करने और इसके पुनरुद्धार का हिस्सा बनने के लिए निकल पड़े।
#### **अध्याय 2: ओडिया मठ का ऐतिहासिक महत्व**
अयोध्या पहुंचकर, अबलोकरा और रिया ओडिया मठ, जिसे परम प्राचीन सीता राम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, की ओर बढ़े। मठ ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और अयोध्या से उसके गहरे संबंध का साक्षी था।
**रिया:** "अबलोकरा, क्या तुम जानते हो कि ओडिया मठ पीढ़ियों से ओडिया गर्व का प्रतीक रहा है? इसने हमारे अनुष्ठानों और परंपराओं को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।"
**अबलोकरा:** "हाँ, और मठ के अनुष्ठान कई लोगों के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत रहे हैं। दैनिक प्रार्थनाओं और आरतियों से लेकर राम नवमी और कार्तिक पूर्णिमा जैसे त्योहारों पर विशेष उत्सव तक, मठ ने आध्यात्मिक उत्साह को जीवित रखा है।"
**रिया:** "यह अद्भुत है कि यहाँ के लोग अनुष्ठानों और मठ के रखरखाव में शामिल हैं।मठ के महंत श्री दास, श्री नागेन बिहारी और स्थानीय ओडिया समुदाय द्वारा गठित ट्रस्ट इस पुनरुद्धार के प्रयास में अहम भूमिका निभा रहा है।" बारबंकि के भक्त का सहोजोग उलेख्य निय है।
**अबलोकरा:** "बिलकुल सही। ट्रस्ट ने न केवल मंदिर को पुनर्जीवित करने के लिए कदम उठाए हैं बल्कि गायों के आश्रय स्थल को भी चालू किया है और गुरुकुल को फिर से संचालित किया है। उन्होंने अगले साल अयोध्या में एक भव्य जगन्नाथ रथ यात्रा की भी योजना बनाई है।"
#### **अध्याय 3: पुनरुद्धार के प्रयास**
ट्रस्ट द्वारा किए गए पुनरुद्धार के प्रयास हर कोने में स्पष्ट थे। अबलोकरा और रिया ने इस नेक कार्य में शामिल लोगों की निष्ठा को देखा।
**रिया:** "देखो, अबलोकरा, इन लोगों की भक्ति को देखो। वे न केवल एक मंदिर को पुनर्जीवित कर रहे हैं बल्कि एक विरासत को भी जीवित रख रहे हैं। सरयू नदी में जगन्नाथ धाम के नाम पर स्नान घाट का निर्माण एक सराहनीय प्रयास है।"
**अबलोकरा:** "निश्चित रूप से, रिया। चतुर्द्ध मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा और राम दरबार और राधा कृष्ण के साथ जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा, और सुदर्शन की पूजा विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों की एकता को दर्शाती है।"
**रिया:** "यह मठ वास्तव में जगन्नाथ धाम, पुरी, और भक्ति धाम, अयोध्या के बीच एक पुल का काम करता है। यह हमारे देश की विविधता में एकता की भावना का चमकता उदाहरण है।"
#### **अध्याय 4: एक नई शुरुआत**
जब उन्होंने मठ का दौरा किया और स्थानीय लोगों से बातचीत की, तो अबलोकरा और रिया को गर्व और जिम्मेदारी की गहरी भावना महसूस हुई। ओडिया मठ का पुनरुद्धार केवल एक संरचना को पुनर्जीवित करने के बारे में नहीं था, बल्कि एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को पुनर्जीवित करने के बारे में था जो पीढ़ियों और क्षेत्रों के लोगों को जोड़ता था।
**अबलोकरा:** "यह यात्रा एक आंख खोलने वाली रही है, रिया। हमने विश्वास की शक्ति और लोगों के सामूहिक प्रयास को अपनी विरासत को संरक्षित करने में देखा है। ओडिया मठ की कहानी हमारी परंपराओं की ताकत और उन्हें बनाए रखने के महत्व का प्रमाण है।"
**रिया:** "बिलकुल सही, अबलोकरा। यह कहानी कई लोगों को अपनी सांस्कृतिक विरासत की सराहना करने और इसे संरक्षित करने में योगदान देने के लिए प्रेरित करेगी। चलो इसे सम्मान और प्रशंसा के साथ बताते हैं।"
नई उद्देश्य और पुनःजीवित भावना के साथ, अबलोकरा और रिया ने अपने अनुभवों को दर्ज किया और ओडिया मठ की कहानी को दुनिया के सामने साझा करने के लिए तैयार हो गए। उनकी यात्रा एक याद दिलाने वाली थी कि हमारी विरासत को संरक्षित करना एक सामूहिक जिम्मेदारी है और हर प्रयास हमारी परंपराओं को जीवित रखने में योगदान करता है।
### **उपसंहार और नैतिक**
अपनी यात्रा के माध्यम से, अबलोकरा और रिया ने सीखा कि विरासत का सच्चा सार उन मूल्यों और परंपराओं में निहित है जो पीढ़ियों के माध्यम से संप्रेषित होते हैं।
लेखक : सूबास दास
ओडिया बाबा सेबा संस्थान,
अजोध्या,