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“महानदी पुल गढ्ढे: बांडसागर ने खुदवाए एसडीएम ने भटवाय, जनता की जिंदगी और भविष्य खतरे में”

“महानदी पुल गढ्ढे: बांडसागर ने खुदवाए एसडीएम ने भटवाय, जनता की जिंदगी और भविष्य खतरे में”


कटनी, बरही।
मध्य प्रदेश के कटनी जिले में बरही तहसील के अंतर्गत महानदी पर स्थित पुल, जो लगभग 8 किलोमीटर दूरी पर है, पिछले दो वर्षों से बंद पड़ा है। यह पुल बरही से मैहर मार्ग पर कोटेश्वर के पास स्थित है और क्षेत्रीय जनता के लिए एकमात्र प्रमुख मार्ग था। पुल बंद होने से न केवल बाजार और व्यापार प्रभावित हो रहा है, बल्कि बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं भी बुरी तरह से बाधित हो रही हैं।

कुछ दिन पहले, किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा बैरिकेडिंग तोड़ने के बाद हल्के वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई थी। ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की थी कि एंबुलेंस, स्कूल वाहनों और बाइक जैसी हल्की गाड़ियों को पुल से गुजरने की अनुमति दी जाए। लेकिन प्रशासन ने इस अपील को अनदेखा करते हुए पुल के दोनों सिरों पर बड़े-बड़े गड्ढे खुदवा दिए। इन गड्ढों को बिना किसी ब्रेकर या चेतावनी बोर्ड के छोड़ दिया गया, जिससे कई वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गए। पिछले कुछ दिनों में गड्ढों में गिरकर तीन से चार बाइक सवार गंभीर रूप से घायल हुए।

गांव वालों की परेशानी
ग्रामीणों का कहना है कि पुल बंद होने से बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, और किसी भी आपातकालीन स्थिति में एंबुलेंस तक का इंतजाम करना असंभव हो गया है। क्षेत्रीय जनता ने कई बार प्रशासन से इस मुद्दे को हल करने की गुहार लगाई, लेकिन उनकी बात अनसुनी रह गई। पिछली बार ग्रामीणों ने भूख हड़ताल कर आंदोलन किया था, जिसके बाद एसडीएम ने रिपेयरिंग का आश्वासन दिया था। लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी कोई काम शुरू नहीं हुआ।
प्रशासन की कार्रवाई
जब ग्रामीणों ने आंदोलन की चेतावनी दी, तो एसडीएम ने आनन-फानन में मौके पर पहुंचकर गड्ढों को भरवाया और नई बैरिकेडिंग लगवाई। एसडीएम का कहना है कि पुल की मरम्मत पिलर रिपेयरिंग के बाद ही शुरू होगी। हालांकि, इस आश्वासन से नाराज जनता का कहना है कि प्रशासन अपनी सुरक्षा की चिंता कर रहा है, लेकिन जनता की परेशानियों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा।
प्रभावित जीवन और क्षेत्रीय विकास
पुल बंद होने से न केवल बरही से मैहर के बीच की कनेक्टिविटी बाधित हो गई है, बल्कि क्षेत्रीय बाजार और रोजगार पर भी नकारात्मक असर पड़ा है। विधायक ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन न तो राजनेताओं की सुनवाई हो रही है और न ही प्रशासन कोई ठोस कदम उठा रहा है।

जनता का सवाल:
क्या प्रशासन को जनता की पीड़ा और उनकी जरूरतें नजर नहीं आ रही हैं? ग्रामीणों का कहना है कि पुल बंद रहने से वे न केवल सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं, बल्कि उनकी जान पर भी खतरा मंडरा रहा है।

निष्कर्ष:
सरकार और प्रशासन की उदासीनता ने क्षेत्रीय जनता को आंदोलन करने पर मजबूर कर दिया है। यह आवश्यक है कि जल्द से जल्द पुल की मरम्मत और हल्के वाहनों की आवाजाही के लिए उचित व्यवस्था की जाए, ताकि जनता को राहत मिल सके।

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