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छत्तीसगढ़िया क्रांतिसेना संगठन के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप मिरी को कोरबा कलेक्टर ने किया जिला बदर, सड़कों पर विरोध में उतरी लोगों की जन सैलाब.. शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन करते हुए कलेक्टर कार्यालय का घेराव..


अपराधिक प्रवृत्ति में संलिप्त आरोपियों को जिला बदर नहीं करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता एवं संगठन से जुड़े सक्षम अधिकारी तथा वरिष्ठ वकील को बिना तथ्य के कोरबा कलेक्टर ने जिला बदर करने का आरोप जोरों पर..

रिपोर्ट/ जावेद अली आज़ाद

कोरबा। ऊर्जाधानी नगरी जिला कोरबा में एक बार फिर से एक सामाजिक कार्यकर्ता तथा संगठन से जुड़े पदाअधिकारी तथा वकालत करने वाले वकील के ऊपर फर्जी तरीके से FIR कर कोरबा कलेक्टर के द्वारा बेवजह जिला बदर करने का आरोप की सनसनी ख़बर जिले में फैली हुई है। आज उक्त दिनांक को जिला कोरबा के आईटीआई चौक में सैकड़ो की तादात में लोगों की उपस्थिति देखी गई। समाज से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता, छत्तीसगढ़िया क्रांतिसेना व भू स्थापित कामगार संगठन के अधिकारी एवं पदाधिकारीयों ने आईटीआई चौक पर एकत्रित होकर शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन करते हुए जिला कोरबा कलेक्टर के इस फैसले को नींदनीय घोषित करते हुए छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना संगठन प्रदेश अध्यक्ष दिलीप मिरी के ऊपर किए गए फर्जी FIR और जिला बदर की कार्यवाही को तत्काल निरस्त करने की मांग व अपील की गई है। संगठन के अधिकारियों ने कोरबा जिला प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा है कि इस प्रकार से जिले में अगर सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ फर्जी FIR और जिला बदर की कार्यवाही अनुचित तरीके से की जाती है तो कोरबा जिले के लिए इससे शर्मनाक की बात क्या होगी..??

छत्तीसगढ़ियों के ऊपर हो रहे प्रशासनिक तौर पर फर्जी एफआईआर (FIR), क्या राजनीतिक नेताओं के दबाव में सामाजिक कार्यकर्ताओं को भेजा जा रहा जेल, फर्जी FIR अन्यथा जिला बदर..??

जिला कोरबा प्रदूषित वातावरण होने के साथ-साथ अपराधिक मामले की गतिविधियों में संलिप्त आरोपियों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है परंतु कोरबा जिला प्रशासन के द्वारा अपराधिक मामले में संलिप्त आरोपियों के ऊपर किसी भी प्रकार की कोई ठोस कार्यवाही नहीं करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता को परेशान कर बेवजह जिला बदर करने का मामला सामने आया है आमजनों का कहना है कि कोरबा जिला प्रशासन छत्तीसगढ़ियों के साथ शोषण कर रही है। उनके साथ हो रहे शोषण को लेकर शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन या आंदोलन किए जाने पर फर्जी तरीके से कार्रवाई करते हुए जिला प्रशासन न्याय नहीं करते हुए छत्तीसगढ़ियों के ऊपर ही उल्टा कार्रवाई करती है। जिला कोरबा रासायनिक राखड़ से प्रदूषित हो चुकी है चाहे वह पावर प्लांट हो या कारखाना अन्यथा खदान से निकली हुई कोयले की रासायनिक धूल, डस्ट एवं कण। जिला कोरबा पांचवी अनुसूचित क्षेत्र के अंतर्गत प्रभाव पर है। आदिवासियों के साथ हो रहे शोषण एवं अत्याचार को लेकर प्रदेश मंत्री ने तरह-तरह के सामाजिक कार्य एवं आंदोलन, हड़ताल एवं धरना प्रदर्शन किए हैं। संविधान को मानने वाले सामाजिक कार्यकर्ता के साथ लगातार उन्हें जबरन डराया धमकाया जा रहा है। फर्जी FIR किया जा रहा है और जरूरत पड़ी तो जेल में भी ठूंसा जा रहा है। अन्य प्रांत से आए लोगों के द्वारा किए गए तरह-तरह के अपराधिक मामलों को दरकिनार करते हुए अन्यथा आरोपियों के ऊपर कड़ी कार्यवाही करने के बजाय उन्हें संरक्षण देने की बात करते हुए छत्तीसगढ़ियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। इससे पहले भी जिला कोरबा के दीपका क्षेत्र अंतर्गत एसीबी पावर प्लांट में हुए आंदोलन को लेकर श्री दिलीप मिरी सहित अन्य 05 लोगों के ऊपर लूटपाट, डकैती, चोरी के मामले पर फर्जी FIR की गई थी। मैदानीय स्तर पर जमीन से विवादित मामला हो या फिर रोजगार संबंधित मामले, हर क्षेत्र में दिलीप मिरी एवं अन्य ने छत्तीसगढ़ियों के साथ हो रहे शोषण, अत्याचार से संबंधित मामले की पुरजोर विरोध करते हुए जनमानस की भलाई के लिए सामाजिक कार्य किया है परंतु कोरबा की जिला प्रशासन और कोरबा कलेक्टर के द्वारा फर्जी तरीके से कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए जिला कोरबा सहित अन्य जिलों में भी जिला बदर करने का कार्यवाही किया गया है जिसके विरोध में आज क्रोधित होकर आम लोगों ने शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन करने के साथ-साथ जिला कोरबा कलेक्टर कार्यालय का घेराव करते हुए छत्तीसगढ़ राज्यपाल के नाम से ज्ञापन सौंपा गया है।


छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस एक यादगार दिवस के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य में छत्तीसगढ़ियों के द्वारा मनाया जाता है..


छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना होने के बाद छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ियों के साथ ही उनके कल्चर,बोली, भाषा, संस्कृति अन्य की मजाक उड़ाई जाती रही है, अन्य प्रांत से बसे हुए लोग यहां की संस्कृति को नहीं अपनाते हुए अपने राज्य की बखान करते हुए आज भी नहीं थकते। छत्तीसगढ़ी भाषा बोलने में इन्हें शर्म महसूस होती है। छत्तीसगढ़ियों को हिन भावनाओं से देखी जाती है। छत्तीसगढ़ राज्य का एकमात्र संगठन छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना जो कि छत्तीसगढ़ के मूल निवासी, और छत्तीसगढ़ राज्य के संस्कृति को बचाने में लगी हुई है। इस मामले पर भी दिलीप मिरी ने अहम भूमिका निभाई है। छत्तीसगढ़ियों के साथ हो रहे लगातार अत्याचार एवं शोषण को देखते हुए छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना संगठन का स्थापना का निर्माण की गई परंतु जब से संगठन का निर्माण हुआ तब से फर्जी FIR अधिकारी एवं पदाधिकारी और संगठन से जुड़े हुए लोगों के ऊपर होने लगी और वर्तमान में आज भी फर्जी FIR का सहारा लेकर अन्य प्रांत से आए लोग बड़े-बड़े नेता बनकर राजनीतिक कुर्सी के भूखे लोग अपना गंदी राजनीति कर प्रशासन का सहारा लेकर फर्जी FIR करवा रहे हैं। प्रशासनिक तौर पर कुर्सी में बैठे अधिकारियों के द्वारा चंद रूपए पैसे का घूस लेकर छत्तीसगढ़ियों पर अत्याचार व शोषण कर रहे हैं यह आरोप जिला प्रशासन में बैठे अधिकारियों पर आम लोगों ने लगाया है। इसी प्रकार राजगमार क्षेत्र अंतर्गत आमाडांड पर एक ताजा मामला सामने आया है जहां आदिवासियों के मठ पर कुछ बाहरी अन्य प्रांत के लोगों के द्वारा जमीन का बेजाकब्जा किया गया है। इस जमीन पर बने कब्र को जेसीबी से तुड़वाया गया। कब्र में आराम कर रहे मृत लाश को भी बख्शा नहीं जा रहा है। इस मामले पर छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना प्रदेश अध्यक्ष श्री मिरी और संगठन के सक्षम अधिकारियों के द्वारा जिला कोरबा कलेक्टर को शिकायत की गई थी। परंतु इस मामले पर अब तक किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई जिला प्रशासन के द्वारा नहीं की गई और नहीं कलेक्टर के द्वारा आखिर क्यों..?? क्या यही छत्तीसगढ़ियों के साथ न्याय है.. ? छत्तीसगढ़ियों के साथ क्या उनके पुरखौती जमीनों पर अन्य राज्य के लोगों के द्वारा बेजा कब्जा करना उचित है..?? आदिवासियों की जमीन को हड़प कर तथा कब्र पर जेसीबी चलाकर तुड़वाना आपराधिक श्रेणी में आता है परंतु जिला कोरबा कलेक्टर इस मामले पर आखिर क्यों चुप्पी साधे हुए हैं आखिर कार्यवाही क्यों नहीं की गई.?? कोरबा जिला प्रशासन ने अपराधी को जेल में डालने के बजाय आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं, कोरबा जिला प्रशासन आरोपियों को जेल में ठूंसने के बजाय क्या जमीनों का बेजाकब्जा करवाने के लिए संरक्षण दे रहे हैं..? और ऐसे ही मामलों पर जब छत्तीसगढ़िया शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन आंदोलन या हड़ताल करते हैं तो कोरबा कलेक्टर और जिला कोरबा प्रशासन की मिली भगत से छत्तीसगढ़ियों के ऊपर ही उल्टा फर्जी FIR आखिर क्यों और किस आधार पर की जाती है..?


कोरबा जिले में अनेकों पावर प्लांट एवं कारखाने तथा कोयला खदानें संचालित हैं परंतु यहां के ठेकाकर्मियों के साथ हो रहे शोषण एवं अत्याचार को लेकर भी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप ने सामाजिक कार्य से संबंधित मामले को लेकर ठेका कर्मियों के पेमेंट, बोनस, रोजगार,बसाहट अन्य मामले को लेकर लगातार आवाज़ उठाते रहे हैं। और मजदूरों को उनके न्याय एवं हक, अधिकार दिलाने में मददगार साबित हुए हैं। चाहे वह कुसमुंडा, दीपिका, गेवरा, मानिकपुर, अन्य कोयला खदान हो अन्यथा भारत अल्युमिनियम प्लांट बालकों, एसीबी पावर प्लांट, एनटीपीसी पावर प्लांट अन्य सभी मजदूरों के हित में वेजेस अन्य से संबंधित मामले से लेकर कोर्ट में वकालत करते हुए आम लोगों को न्याय दिलवाई है। चुनाव नजदीक आते ही सामाजिक कार्यकर्ताओं के ऊपर जिला बदर करने का मामला सामने आता रहा है इससे पहले भी दिलीप मिरी के ऊपर जिला बदर की कार्यवाही की गई थी। जो कि न्याय संगत नहीं थी। बिना तथ्य के निराधार कार्यवाही की गई थी चुनाव खत्म जिला बदर खत्म और प्रशासनिक कागजी कार्यवाही खत्म, गजब की प्रशासनिक कागजी कार्यवाही इसे किस रूप का शब्द दे, ये जनता है जनार्दन है साहब सब जानती है, बस इंतजार है सही समय का और समय बलवान।

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