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*झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड के बाद उज्जैन चरक अस्पताल हुआ अलर्ट*

डिस्ट्रिक्ट रिपोर्टर शाहनवाज खान उज्जैन

पीआईसीयू में खतरे की घंटी बजते ही स्टाफ ने शुरू किए बचाव और आग से निपटने के उपाय

सिविल सर्जन बोले… आग बुझाने के यंत्र पर्याप्त स्टाफ को कराई मॉकड्रिल

संवादाता उज्जैन। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई सरकारी मेडिकल कॉलेज के स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में शुक्रवार देर रात भीषण आग लगी। हादसे में 10 बच्चों की मौत हो गई। स्टाफ ने 39 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला था। इस घटना से सबक लेकर चरक अस्पताल में आग लगने पर बचाव और सुरक्षा के उपाय चेक किए गए। सिविल सर्जन की मौजूदगी में स्टॉफ ने मॉकड्रिलभी की।

डॉ. अजय दिवाकर ने बताया कि झांसी के सरकारी मेडिकल कॉलेज में हुई घटना दुखद है। उससे सबक लेकर 6 मंजिला चरक अस्पताल में आग बुझाने के यंत्रों और स्टाफ को आग लगने की घटना पर सुरक्षा और बचाव के उपाय को लेकर समझाईश दी गई। चरक अस्पताल में कुछ माह पहले तक मातृ एवं शिशु रोग विभाग संचालित होता था। वर्तमान में यहां जिला चिकित्सालय के वार्ड्स भी शिफ्ट कर दिए हैं। ऐसी स्थिति में मरीजों और परिजनों की भीड़ बनी रहती है। हालांकि चरक अस्पताल भवन निर्माण के दौरान एजेंसी द्वारा आग लगने की घटना से बचाव के लिए यंत्र लगाए गए थे।

यह है सुरक्षा की व्यवस्था

डॉ. दिवाकर ने बताया कि अस्पताल की हर मंजिल पर सेंट्रल लाइन डाली गई है। इस लाइन के पाइप से फॉगिंग पावडर का छिड़काव आग लगने पर किया जा सकता है। इसके अलावा आग बुझाने के फायर एक्सट्विंगशर भी लगे हैं।

एसएनसीयू में हुई मॉकड्रिल

चरक अस्पताल स्थित बच्चों के एसएनसीयू स्टाफ ने शनिवार को मॉकड्रिल की। इस दौरान वार्ड में आग लगने का दृश्य तैयार किया गया। वार्ड में धुआं फैलते ही अलर्ट का अलार्म बचा। स्टाफ तुरंत एक्टिव हुआ। नर्स बच्चों को सुरक्षित करते हुए बाहर आ रही थीं। ड्यूटी डॉक्टर फायर ब्रिगेड को कॉल कर रहे थे। आग पर फॉगिंग कर बुझाने के प्रयास किए जा रहे थे। इस प्रकार की मॉकड्रिल को अस्पताल स्टाफ व अफसरों ने देखा और सभी को आग से बचाव व सुरक्षा की जानकारी दी गई।

यह है चरक अस्पताल की व्यवस्था: 6 मंजिला चरक अस्पताल के आधे से अधिक हिस्से में जिला चिकित्सालय को शिफ्ट किया गया है। वर्तमान में यहां ग्राउण्ड फ्लोर पर इमरजेंसी, ओपीडी, दवा वितरण, रिहेब सेंटर सहित अन्य विभाग संचालित होते हैं। दूसरी से पांचवीं मंजिल तक मरीजों के अलग-अलग वार्ड, आईसीयू, पीआईसीयू, प्रसूताओं का विभाग संचालित होता है। एक समय में यहां मरीजों व उनके परिजनों सहित 1000 से अधिक लोग मौजूद रहते हैं।

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