वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियां*
आलोट, जाने माने अनुभवी ऐडवोकेट और टैक्स कंसलटेंट जो एलएलएम एमकॉम होकर एलोपैथिक, होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक में भी अच्छी जानकारी रखते हैं ने अपने अनुभवों और ज्ञान के आधार पर वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों के बारे में अनुभवों और विशेषताओं को साझा किया है।
उन्होने यह बताया कि किस प्रकार से वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों को हम अपने जीवन में अपनाकर अपने आप को स्वस्थ रख सकते है। इसी क्रम मे उनके अनुसार सामान्यतः हम चिकित्सा के लिए एलोपैथी पद्धति को ही प्राथमिकता देते हैं किंतु वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियां भी अत्यधिक प्रभावी है जिनमें होम्योपैथी,आयुर्वेद,नेचुरोपैथी प्रमुख है l एलोपैथी सप्रेशन अर्थात बीमारी के दमन के सिद्धांत पर कार्य करती है इस वजह से इसके कई दुष्प्रभाव होते है जिन्हें हम सामान्य बोलचाल की भाषा में साइड इफेक्ट भी कहते हैं । जब किसी बीमारी को उसके होने के मूल कारण को खत्म न करते हुए दबाया जाता है तो वह शरीर के दूसरे अंगों को प्रभावित करती है जैसे दर्द निवारण के लिए सामान्य रूप से ली जाने वाली गोलियां जिन्हें पेन किलर कहा जाता है लेने पर सीधे किडनी पर दुष्प्रभाव डालती है वहीं अगर हम अन्य पद्धतियों में से होम्योपैथी की बात करें तो यह पद्धति शरीर में होने वाली बीमारी का रोगी के लक्षणों के आधार पर कारण ज्ञात कर उसे जड़ से नष्ट करती है और इसके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होते होम्योपैथी वस्तुतः बीमारी की बजाय बीमार व्यक्ति की जीवन शक्ति पर कार्य करती है और उसमें सुधार कर व्यक्ति को स्वस्थ बनाती है l कई ऐसे रोग जिनमें एलोपैथी के पास ऑपरेशन ही बीमारी को सही करने का एकमात्र रास्ता होता है उन रोगों में भी होम्योपैथी उचित दवाओं के माध्यम से बीमारी का इलाज कर सकती है उदाहरण के लिए पथरी का इलाज होम्योपैथी की दवाओं के माध्यम से आसानी से किया जा सकता है l
यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि इन वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों में इलाज का खर्चा काफी कम होता है वहीं आज एलोपैथी द्वारा इलाज दिन पर दिन काफी खर्चीला होता जा रहा है जिसे वहन करना कई बार सामान्य व्यक्ति के क्षमता के बाहर हो जाता है।साथ ही यह भी ध्यान रखने योग्य है कि आजकल अस्पतालों में इतनी अधिक संख्या में मरीज होते हैं कि कई बार डॉक्टर के लिए यह संभव नहीं होता कि वह मरीज को पर्याप्त समय दे सके यहां तक कि कई बड़े डॉक्टर को दिखाने के लिए दो-तीन माह पूर्व समय लेना आवश्यक होता है।
कई शोध के माध्यम से यह बात सिद्ध हो चुकी है अपने अत्यंत अल्प साधन संसाधनों के बावजूद भी वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियाँ समान रूप से प्रभावकारी हैl प्रसिद्ध चिकित्सक पद्मविभूषण डॉ बी. एम. हेगड़े ने भी अपने कई शोध और लेख के माध्यम से इस बात को बल देकर बताया है कि वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियां बिगड़े हुए स्वास्थ्य और रोग निवारण में कितनी महत्वपूर्ण और सहायक है ।
चूंकि एलोपैथी पद्धति के क्षेत्र में बड़ी-बड़ी फार्मा कंपनियां,अस्पताल, जांच केंद्र वैश्विक स्तर पर कार्य कर रहे हैं इसलिए इसका प्रचार-प्रसार इतना अधिक है कि इसके सामने वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियां गौण नजर आती है किंतु समय की मांग है कि अब इन महत्वपूर्ण वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों को भी पर्याप्त महत्व दिया जाए एवं सरकार को भी इस और ध्यान देने की जरूरत है ताकि एक ही चिकित्सा पद्धति पर पड़ने वाले अत्यधिक बोझ को कम किया जा सके और लोगो को अन्य विकल्प भी उपलब्ध हो सके l इस लेख का उद्देश्य एलोपैथी पर कटाक्ष करना नहीं वरन वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति को महत्व दिए जाने की जरूरत से है ।