जिगर के टुकड़े भीतर दम तोड़ रहे थे, परिजनों की चीख से कांप उठा कलेजा, झांसी हॉस्पिटल का आंखों देखी हाल.
झांसी अस्पताल में आग लगने से परिजनों में चीख पुकार मच गया. लोग इधर-उधर भागकर अपने कलेजे के टुकड़ों को बचाने की कोशिश में लग गए. कृपाल का भी नवजात इसी वार्ड में एडमिट था. कृपाल अपने नवजात को दूध पिलाने के लिए जा रहे थे. नर्स ने बुलाया था. जब कृपाल अंदर गए तो देखा आग अपने आगोश में वार्ड को ले चुका है. नर्स भी जल रही थी. बेड जल रहे हैं. कृपाल ने 20 बच्चों को रेस्क्यू कियाझांसी अस्पताल में आग के पीड़ित कुलदीप और उनकी पत्नी ने बताया10 दिन पहले उनको बेटा हुआ था. मंगलवार को झांसी मेडिकल कॉलेज में एडमिट कराया. रात में वह अपनी पत्नी के साथ लॉबी में बैठे थे. वे इंतजार में थे कि नर्स बच्चे को दूध पिलाने के लिए उसका नाम पुकारेगी. तभी आग लग गई. तीन बच्चों को उसने बचाया. खुद उसका हाथ जल गया. लेकिन, उसका बेटा कहां है, कोई जानकारी नहीं मिल पा रही. कोई बता दे कि बच्चा जिंदा है या नहीं. उसकी पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल हो गया है.
उत्तर प्रदेश के झांसी में रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु वार्ड में रात के 10 बजे के करीब आग लग गई. इस घटना में कम से कम 10 नवजातों की मौत हो गई. इस घटना में 16 से अधिक बच्चे झुलस गए. घटना के वक्त वार्ड में 49 बच्चों का इलाज चल रहा था. रिपोर्ट के मुताबिक प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 37 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर पोस्ट कर घटना को लेकर दुःख जाहिर की है. उन्होंने अस्पताल में आग लगने की घटना की जांच के तीन स्तरीय जांच कमेटी बैठाई है.
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने घटना स्थल पहुंच गए हैं. आग लगने की घटना के पीछे कारण को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है. लेकिन माना जा रहा है कि शॉर्ट सर्किट की वजह से संभव है कि ये आग लगी हो. उन्होंने बताया कि जांच मे जो भी दोषी सामने आएगा, उसे कड़ी से कड़ी सजा दिलाएंगे. वहीं, उन्होंने इलाजरत बच्चों को वर्ल्ड क्लास मेडिकल सुविधा दी जाएगी.
झांसी के अस्पताल आग लगने के बाद सीएम योगी ने कमिश्नर और डीआईजी और स्थानीय पुलिस को मामले की जांच कर 12 घंटे के अंदर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है. उन्होंने बताया कि इस मामले की मजिस्ट्रेट इंक्वायरी भी की जाएगी. वहीं, स्वास्थ्य विभाग भी इस मामले की जांच कर रहा है.एक प्रत्यक्षदर्शी का कहना है कि आग लगने की मुख्य वजह शॉर्ट सर्किट नहीं थी जबकि वो नर्स थी, जिसने वार्ड में ऑक्सीजन सिलेंडर के पाइप लगाने के लिए माचिस की तीली जलाई थी. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जैसे ही उसने तिल्ली जलाई, पूरे वार्ड में आग लग गया. हमीरपुर के रहने वाले प्रत्यक्षदर्शी भगवान दास ने बताया कि उन्होंने अपने गमझे से तीन-चार बच्चे को लपेटकर बचाया और लोगों की मदद से अन्य बच्चों को बचाने में मदद की. बताया जा रहा है कि अस्पताल में रखें फायर एक्सटिंग्विशर भी एक्सपायर हो चुके थे. आग बुझाने वाले सिलेंडर की फिलिंग डेट 2019 और उसकी एक्सपायरी डेट 2020 थी. आग लगने पर फायर अलार्म बजाना वहां पर है. सिलेंडर किसी काम के नहीं थे.