क्या भाजपा महायुती और महाआघाड़ी दोनों कल्याण में हार गयी?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कल्याण पूर्व 142 सीट अब हॉट सीट बन चुकी है, 3 उम्मीदवारों में कांटे की टक्कर होती दिख रही है।
लगभग उन्नीस उम्मीदवारों ने कल्याण पूर्व सीट से दावा ठोका है परन्तु इसमें मुख्यतः 4 - 5 नाम ही थे जिनके नाम जनता के बीच चर्चा का विषय थे,
इसमें सुलभा गणपत गायकवाड सबसे बड़ा नाम मानी जा रही थीं क्यूंकि वो वर्तमान विधायक गणपत शेठ गायकवाड की पत्नी हैं, परन्तु अधिकतर जनता का मानना है कि सुलभा गायकवाड के पास गणपत शेठ की पत्नी होने के अलावा आमदार बनने के लिए कोई योग्यता नहीं है।
सुलभा गायकवाड राजनीति में पहली बार दावेदारी कर रही हैं, इसके पहले सुलभा गायकवाड राजनीति सम्बन्धी किसी सामाजिक प्रशासनिक कार्य का हिस्सा रही हों ऐसा देखने को नहीं मिला है।
इसके अलावा गणपत शेठ गायकवाड की पत्नी होना भी उनके लिए मुसीबत का सबब बनता दिख रहा है, क्यूंकि कल्याण पूर्व की जनता ने गणपत शेठ के 15 वर्ष के कार्यकाल में मूलभूत सुविधाओं के विकास के प्रश्न को सिरे से नकार दिया है,
अधिकतर लोग सड़कों की दुर्दशा और बार बार खड्डा भराई के नाम पर भ्रस्टाचार को मुद्दा बता रहे हैं।
पानी की आपूर्ति और गुणवत्ता भी एक अहम् मुद्दा बना है, लोगों का कहना है कि कल्याण पूर्व में पानी कम आता है और पानी की क्वालिटी अच्छी नहीं होती।
विजली आपूर्ति और ज्यादा बिल का ठीकरा भी जनता ने गणपत शेठ गायकवाड के ऊपर फोड़ना शुरू कर दिया है।
इसके अलावा BMC में जैसे 500 स्क्वायर फिट तक के घरों का टैक्स माफ़ है वही नियम KDMC में नहीं होने से परेशान जनता प्रॉपर्टी टैक्स के लिए भी गणपत शेठ को जिम्मेदार बता रही है और उनका परिवार होने के कारण सुलभा गायकवाड को भी इस बार आमदार नहीं बनाने को बोल रहे हैं।
इसके अलावा एक बड़ा मुद्दा है गणपत शेठ के जेल जाने के बाद किसी बड़े नेता को टिकट देने की बजाय गणपत शेठ की पत्नी को टिकट मिलना।
जनता का मानना है कि गणपत शेठ ने विकास के नाम पर भ्रस्टाचार किया है फिर भी भाजपा ने उनकी पत्नी को टिकट देकर जनता के साथ धोखा किया है।
हिंदुत्व: भाजपा और शिवसेना सुलभा गायकवाड को जिताने के लिए कल्याण पूर्व में भी हिंदुत्व कार्ड को जोरों से खेलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है, सोशल मीडिया सहित, संस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से और मोबाइल सोशल प्लेटफार्मों पर भाजपा ने ऐड दे रखा है, लेकिन जनता इन सबको भी अपने टैक्स के पैसे की बर्बादी बता रही है, कुछ लोगों ने यहां तक दावा किया कि भाजपा उम्मीदवार इस अथाह खर्च की वसूली फिर भ्रस्टाचार करके जनता से ही करने वाले हैं और हमारे हक के प्रश्न फिर से वैसे के वैसे ही रह जायेंगे। साथ ही कई लोगों ने पूछा कि हिंदुत्व के लिए गणपत शेठ ने 15 साल में क्या योगदान दिया है!
लोगों का कहना है कि कोलसेवाड़ी कल्याण पूर्व में जब गणपति मंदिर प्रशासन द्वारा तोड़ दिया गया तब हिंदुत्व का दावा करने वाले गणपत शेठ या भाजपा कार्यकर्ताओं ने उसे रोका नहीं।
कुल मिलाकर जमीनी स्तर पर अभी तक तो सुलभा गायकवाड के खिलाफ ही असर दिख रहा है, हाँ भाजपा IT टीम सोशल मीडिया पर हिंदुत्व कार्ड और इमोशनल कार्ड जोरदार तरीके से खेलने का प्रयास कर रही है।
इन सभी परिस्थितियों का लाभ चारो तरफ से शैलेश तिवारी को मिलता हुआ दिख रहा है क्योंकि शैलेश तिवारी ने दावा किया है कि बिना आमदार या नगरसेवक होते हुए भी मानेरा अशेले के रोड पर गंदे पानी से भरे खड्डे में बीच रोड पर बैठकर अनशन किया था और प्रशासन ने तत्काल काम शुरू कर दिया था, शैलेश तिवारी का दावा है कि 15 साल से अधिक समय से ख़राब उस सड़क का दोष आमदार गणपत शेठ ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर थोपा जबकि एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बने मात्र लगभग एक वर्ष ही हुआ था, इसके अलावा मलंग गढ़ रोड पर दुर्घटना में एक बच्ची की मृत्यु हो जाने के बाद अपने 6 दिन अनशन करने और मलंग गढ़ रोड का काम शुरू करवाने को भी शैलेश तिवारी अपनी उपलब्धियों में गिनवा रहे हैं।
कल्याण पूर्व की जनता भी शैलेश तिवारी के इन दावों से सहमत नजर आ रही है।
उत्तर भारतीय समाज: उत्तर भारतीय समाज कल्याण पूर्व में सबसे अधिक संख्या में है, जिससे कल्याण पूर्व में आमदार बनने के लिए उत्तर भारतीय निर्णायक वोटर माना जाता है, परन्तु भाजपा शिवसेना महायुती और कांग्रेस उबाठा महाआघाडी सहित किसी भी बड़ी पार्टी से कल्याण पूर्व में उत्तर भारतीय को कभी कैंडिडेट नहीं बनाने को लेकर इस बार उत्तर भारतीय समाज भी इन सभी परम्परागत पार्टियों से खासा नाराज दिख रहा है, कुछ परम्परागत समाजसेवकों को छोड़ दिया जाये तो अधिकतर उत्तर भारतीय इस बार उत्तर भारतीय कैंडिडेट को जिताने की बात कर रहे हैं और कल्याण पूर्व में शैलेश तिवारी एकमात्र मजबूत उत्तर भारतीय कैंडिडेट माने जा रहे हैं, इसलिए इनके काम के आधार पर उत्तर भारतीय समाज भी इस बार शैलेश तिवारी को वोट करने का मन बनाये दिख रहा है।
महाआघाडी के उम्मीदवार धनंजय बोडारे और शिवसेना से बगावत कर महेश गायकवाड अपक्ष तथा शिवसेना से ही निकलकर विशाल पावसे वंचित बहुजन आघाडी से मैदान में हैं, परन्तु ऐसा माना जा रहा है तीनों ही उम्मीदवारों का वोट बैंक एक दूसरे से जुड़ा हुआ है इसके कारण तीनों ही एक दूसरे के वोट बैंक में सेंध लगा रहे हैं,
महेश गायकवाड और विशाल पावसे के शिवसेना से निकलने की वजह से भाजपा शिवसेना महायुती की उम्मीदवार सुलभा गायकवाड के परम्परागत वोट भी कटते हुए दिख रहे हैं।
प्रहार जनशक्ति पार्टी और परिवर्तन महाशक्ति से उम्मीदवार शैलेश तिवारी ने इन तीनों उम्मीदवारों पर भी समाज के बीच जाकर प्रश्न खड़े किये हैं जिसके कारण इन उम्मीदवारों की विश्वसनीयता भी जनता के बीच में कम हुई दिख रही है।
शैलेश तिवारी ने इशारों इशारों में शायद महेश गायकवाड और विशाल पावसे को सत्ताधारी पार्टी से नगरसेवक होने के बावजूद काम नहीं करवाने का आरोप लगाया और दावा किया कि इन उम्मीदवारों में सत्ता से लड़कर कल्याण पूर्व में विकास ला पाने की क्षमता नहीं है अन्यथा सत्ता में होते हुए भी कल्याण पूर्व के लिए काम लेकर आये होते।
धनंजय बोडारे पर शैलेश तिवारी ने पिछले विधानसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर होने के बावजूद 5 साल जनता के बीच नहीं जाने का आरोप लगाया और अपने वार्ड में वोट देने के लिए जनता को धमकाने व पानी कनेक्शन काटने तक के आरोप लगाए।
कुल मिलाकर जमीनी स्तर पर परिणाम शैलेश तिवारी के पक्ष में जाते हुए दिख रहे हैं!
20 तारीख़ को चुनाव के बाद 23 नवंबर को अगले आमदार का पता चल ही जायेगा,
जनता इस बार चुनाव में सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को ध्यान में रखते हुए वोट करे और अपने मताधिकार का प्रयोग अवश्य करें।
समाचार जनता के बीच से प्राप्त अधिकतर तथ्यों के आधार पर एक आंकलन के तहत लिखा गया है, इसकी पुष्टि अपने आधार पर करें।