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विनोदकुमार जैन पाली की मूक-बधिरो के लिए आदर्श और प्रेरणादायक कहानी

विनोदकुमार जैन पाली की मूक-बधिरो के लिए आदर्श और प्रेरणादायक कहानी।

लेखक घेवरचन्द आर्य पाली
विनोदकुमार जैन पाली के कमला नेहरू नगर में रहते हैं। जो पाली की दो तीन प्रतिष्ठित कपड़ा फेक्ट्रीयो में जाब एकाउंट का कार्य करके अपना और परिवार का जीवन निर्वाह कर रहे हैं। विनोदकुमार जैन और उनकी धर्मपत्नी शालिनी जैन की कहानी बहुत ही रोचक और प्रेरणादायक है। जन्मजात मूक-बधिर होने के बावजूद, उन्होंने अपनी जिंदगी में कई उपलब्धियां हासिल की हैं और वे समाज में भी योगदान दे रहे हैं।
विनोदकुमार जैन की संक्षिप्त उपलब्धियां इस प्रकार है।:
- प्राइवेट जॉब में कम्प्यूटर एकाउंट का सफलता पूर्वक काम करना।
- दिव्यांग सेवा समिति पाली के कोषाध्यक्ष पद पर 14 वर्षों से काम करना।
- समाज में मूक-बधिर समुदाय के हित के लिए सम्पर्ण भाव से निष्काम कर्म योगी की तरह काम करना।
शालिनी जैन की उपलब्धियां:
- गृहस्थी के अलावा सिलाई, कढ़ाई और कपड़ों के खिलोने बनाने में दक्षता।
- सभी प्रकार का खाना, मिठाईयां, नमकीन, आचार आदि बनाने में सिद्धहस्त।
- मूक-बधिर होने के बावजूद शिक्षा का महत्व समझकर अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना।
जैन दम्पति के बच्चों की उपलब्धियां:
- माता-पिता से सांकेतिक लेंग्वेज भाषा में बात करना।
- शहर की प्रतिष्ठित इंग्लिश स्कूल में शिक्षा प्राप्त करना।
- माता पिता के सामाजिक समाज हितकारी कार्यों में सहयोग करना।
यह परिवार वेसे तो हर व्यक्ति के लिए एक मिसाल है। लेकिन मूक-बधिर लोगों के लिए आदर्श एवं प्रेरणादायक है। कि कैसे चुनौतियों का सामना करने के बावजूद भी हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं और समाज में योगदान दे सकते हैं।

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