बाल दिवस का सही मायने में अर्थ :---
बाल दिवस का अर्थ केवल उत्सव मनाना नहीं है, बल्कि यह हमारे लिए एक स्मरण है कि बच्चों की परवरिश में हम कैसी दुनिया का निर्माण कर रहे हैं। उन्हें एक स्वस्थ और सकारात्मक वातावरण प्रदान करने की दिशा में हमारा यह संकल्प होना चाहिए कि उनका मानसिक विकास बिना किसी मानसिक दबाव के हो।
बाल मनोविज्ञान के आधार पर यह देखा गया है कि बच्चों का विकास उस माहौल पर निर्भर करता है जिसमें वे पले-बढ़े। एक शिक्षक की भूमिका केवल पढ़ाने की नहीं, बल्कि बच्चों के साथ एक ऐसा रिश्ता बनाने की होती है जिसमें वह बालसुलभता के साथ जुड़ सकें। एक शिक्षक जो अपने अंदर बचपन को जीवित रखता है, बच्चों के लिए प्रेरणास्रोत बनता है। उसकी स्नेहपूर्ण दृष्टि बच्चों को सुरक्षा और विश्वास का अनुभव कराती है, जिससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है और उनका व्यक्तित्व समृद्ध होता है।
शिक्षाशास्त्र के अनुसार, शिक्षण का उद्देश्य केवल विषयों को पढ़ाना नहीं है, बल्कि बच्चों को एक ऐसा दृष्टिकोण देना है जिससे वे समाज के प्रति संवेदनशील बन सकें। शिक्षक का बच्चों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण ही उसे एक आदर्श भूमिका में रखता है। बाल दिवस इस दृष्टिकोण को अपनाने का एक अवसर है कि हम बच्चों के साथ अपने संवाद में लचीलापन और धैर्य रखें, जिससे उनके सीखने की प्रक्रिया सहज हो सके। बाल दिवस हमारे लिए एक प्रेरणा है कि हम बच्चों के लिए एक अनुकूल दुनिया बनाने में अपने योगदान को पुनः परिभाषित करें। शिक्षकों और माता-पिता को चाहिए कि वे अपने अंदर का बचपन जीवित रखें ताकि बच्चों को एक ऐसा माहौल मिले जिसमें वे अपनी कल्पना को साकार कर सकें और जीवन के हर पहलू को स्वतंत्रता के साथ सीख सकें। बच्चों के लायक संसार का निर्माण ही बाल दिवस का असली उद्देश्य है।
सिस्टम की चक्की में शिक्षक! आदेश पालनकर्ता से भविष्य निर्माता तक के सफर का आत्मावलोकन।
बचपन में कठपुतली बनती आज की पीढ़ी।
बच्चों के अनुकूल दुनिया और शिक्षकों और अभिभावकों में बचपन बनाए रखने की आवश्यकता है।