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कल्याण पूर्व में राजनीतिक लहर घूमी शैलेश तिवारी की तरफ ? बड़े फेरबदल के संकेत !!

महाराष्ट्र, 142 कल्याण पूर्व विधानसभा चुनाव में राजनीतिक अनिश्चितता अभी भी बहुत हद तक बनी हुई है, क्या अनिश्चितता के बादल अब छटने वाले हैं? ये सवाल कल्याण पूर्व की जनता के मन में है।
कल्याण पूर्व में विधानसभा चुनाव के लिए कई दिग्गज उम्मीदवारों के अलावा कई नये नाम भी हैं, लेकिन कल्याण पूर्व की विधानसभा सीट इस बार 4 दिग्गज उम्मीदवारों के आस पास घूम रही है।
सुलभा गणपत गायकवाड, शैलेश तिवारी, महेश गायकवाड व धनंजय बोडारे ये कल्याण पूर्व की राजनीति के केंद्र में हैं, और कल्याण पूर्व की जनता को इनमें से ही किसी के आमदार बनने की आशा है।

सुलभा गणपत गायकवाड: सुलभा गायकवाड वर्तमान आमदार गणपत गायकवाड की पत्नी हैं, वैसे तो इनका राजनीतिक अनुभव नहीं है परन्तु महेश गायकवाड को गोली मारने के आरोप में गणपत गायकवाड के जेल जाने के कारण गणपत गायकवाड की विरासत अब सुलभा गायकवाड ने सम्हालने का निर्णय लिया है,
सुलभा गायकवाड के पक्ष में जहाँ भाजपा शिवसेना की युति का वोटबैंक है तो वहीं कल्याण पूर्व की जनता गणपत गायकवाड के द्वारा विकास कार्य ना करने और सुलभा गायकवाड के बिना अनुभव टिकट मिलने पर नाराज भी दिख रही है। अधिकतर सर्वे में जनता कल्याण पूर्व में 15 साल के कार्यकाल में सड़क नाले गार्डन या अच्छे अस्पताल ना बनवाने की शिकायत कर रही है।
हालांकि भाजपा शिवसेना की मजबूत मार्केटिंग टीम सुलभा गायकवाड को जीतते हुए दिखाने की हवा फैलाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।

शैलेश राममुर्ती तिवारी: पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे शैलेश तिवारी ने कांग्रेस छोड़ने के बाद अपनी खुद की पार्टी बनाई "राष्ट्र कल्याण पार्टी", परन्तु पार्टी को राजस्तरीय पार्टी का दर्जा नहीं होने के कारण इस बार शैलेश तिवारी ने दिव्यांगों के दिग्गज नेता और चार बार के विधायक बच्चू कड़ू की पार्टी प्रहार जनशक्ति पार्टी से टिकट लिया, बच्चू कड़ू के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज शाहू छत्रपति और दिग्गज किसान नेता राजू शेट्टी ने युति करके परिवर्तन महाशक्ति बनाई है जिसका पूरा समर्थन शैलेश तिवारी को मिल रहा है, जिसके कारण दिव्यांगों किसानों और मराठो का वोटबैंक शैलेश तिवारी के पक्ष में आ गया है।

महेश दशरथ गायकवाड : महेश गायकवाड शिवसेना के शहर प्रमुख थे और एक सक्रिय नगरसेवक के रूप में जाने जाते थे, परन्तु गणपत गायकवाड द्वारा गोली मारे जाने से नाराज महेश गायकवाड ने उनके जेल जाने के बाद महायुती से कल्याण पूर्व की सीट पर दावा कर दिया, परन्तु गणपत गायकवाड की राजनीतिक वर्चस्व के कारण महायुती का टिकट गणपत गायकवाड की पत्नी सुलभा गायकवाड को दे दी गयी तो नाराज महेश गायकवाड ने बगावत कर दी और अपक्ष मैदान में उतर गए।
हालांकि महेश गायकवाड भी भाजपा शिवसेना युति के अधिकारी रहे हैं तो महेश गायकवाड की बगावत से कल्याण पूर्व भाजपा और शिवसेना दोनों के वोट कटेंगे और सुलभा गायकवाड का जनाधार कम होता दिख रहा है, साथ ही महेश गायकवाड भी अब अपक्ष होने के कारण भाजपा शिवसेना का अधिकृत रूप से साथ ना मिलने से इनका भी जनाधार बंट गया है।

धनंजय बोडारे : धनंजय बोडारे भी दिग्गज नेता हैं, पिछले विधानसभा चुनाव में बोडारे दूसरे ने गणपत गायकवाड को कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन इस बार बोडारे कांग्रेस राष्ट्रवादी और शिवसेना उद्धव ठाकरे गट से दावेदारी ठोकी है, कांग्रेस आघाडी के वोट धनंजय बोडारे को मिलने के साथ ही भाजपा लहर का नुकसान भी धनंजय बोडारे को होते हुए दिख रहा है।
सूत्रों के अनुसार पिछले चुनाओं में बोडारे को तीसगांव साइड के वोट महेश गायकवाड की वजह से मिलते थे, तो इस बार महेश गायकवाड के खुद मैदान में होने की वजह से बोडारे का कल्याण पूर्व का वोटबैंक भी बंटता हुआ दिख रहा है।

इसके अलावा शिवसेना के पूर्व नगरसेवक विशाल पावसे ने भी तीसरी आघाडी का दामन थाम लिया है और खुद आमदार चुनाव का दावा ठोक दिया है जिसका नुकसान सुलभा गायकवाड, महेश गायकवाड और धनंजय बोडारे तीनों को होता हुआ दिख रहा है।

और भी कुछ दिग्गज नाम जैसे नवीन गवली, निलेश अप्पा शिंदे व प्रशांत काळे जो कल्याण पूर्व के दिग्गज नगरसेवक माने जाते हैं इनका समर्थन व वोट बैंक भी आमदार निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है।
नवीन गवली जहाँ बड़ा उत्तर भारतीय वोटबैंक रखते हैं वहीं निलेश शिंदे और प्रशांत काळे का मराठी वोटबैंक मजबूत है,
परन्तु अभी तक इन तीनों ही दिग्गजों ने किसी को भी समर्थन देने पर चुप्पी साध रखी है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसी आशंका जताई जा रही है कि तीनों को गणपत गायकवाड, महेश गायकवाड या धनंजय बोडारे में से किसी को भी जिताने के बाद अपने राजनीतिक वर्चस्व के नुकसान होने का खतरा महसूस हो रहा है!
ऐसे में ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि तीनों ही दिग्गजों का समर्थन शैलेश तिवारी के पक्ष में जा सकता है क्यूंकि शैलेश तिवारी को कल्याण पूर्व में राजनीतिक अजातशत्रु माना जाता है, यानि शैलेश तिवारी की किसी भी नेता या पार्टी से सम्बन्ध ख़राब नहीं हैं।

दूसरी तरफ शिवसेना भाजपा कांग्रेस और अन्य पार्टियों उत्तर भारतीय समाज भी पार्टियों की आपसी कलह से खुद को असुरक्षित महसूस करने लगा है और अधिकतर मात्रा में शैलेश तिवारी की तरफ मुड़ गया है।

तो क्या इस बार कल्याण पूर्व में लहर किसकी तरफ मुड़ रही है?
आपके विचार कमेंट में अवश्य बतायें!








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(समाचार प्राप्त सूचनाओं के आधार पर निकाला गया अंदाज है, कृपया तथ्यों का परीक्षण अपने स्तर से करें)

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