भारत में पर्यावरण संबंधित क़ानून की जानकारी।
पर्यावरण कानून (Environmental Law) का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, संसाधनों के उचित उपयोग और प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित कानूनों का अध्ययन करना है। LLB (Bachelor of Laws) के छात्रों के लिए यह विषय महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने के लिए कानूनी दृष्टिकोण समझने में सहायता करता है। भारत में पर्यावरण कानून कई प्रकार के हैं, जिनमें कुछ प्रमुख कानून निम्नलिखित हैं:
1. भारतीय संविधान और पर्यावरण संरक्षण
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48A और 51A(g) के तहत राज्य और नागरिकों पर पर्यावरण की सुरक्षा का दायित्व डाला गया है।
अनुच्छेद 21, जिसमें जीवन के अधिकार की बात की गई है, इसे एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार के रूप में भी माना गया है।
2. जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974
यह अधिनियम जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाने और नियंत्रित करने के लिए लागू किया गया है।
इस अधिनियम के तहत जल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्थापना की गई, जो प्रदूषण पर निगरानी रखता है और उसे नियंत्रित करता है।
3. वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और औद्योगिक इकाइयों के लिए उत्सर्जन के मानक तय करने के लिए यह अधिनियम लागू किया गया है।
इसके तहत भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों का गठन किया गया है जो औद्योगिक गतिविधियों पर नियंत्रण रखते हैं।
4. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986
भोपाल गैस त्रासदी के बाद इस अधिनियम को लागू किया गया, जो पर्यावरण संरक्षण का एक व्यापक कानून है।
इस अधिनियम के तहत सरकार को पर्यावरण के संरक्षण और सुधार के लिए विभिन्न नियम और मापदंड तय करने का अधिकार है।
5. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972
वन्यजीवों और उनके आवास को संरक्षण देने के उद्देश्य से यह अधिनियम लागू किया गया है।
इसके तहत राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए कानून बनाए गए हैं।
6. जैव विविधता अधिनियम, 2002
जैविक विविधता के संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए यह अधिनियम लागू किया गया है।
यह कानून भारत के पारंपरिक ज्ञान और जैव विविधता की रक्षा पर जोर देता है।
महत्वपूर्ण मामले (Case Laws)
एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ: इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गंगा नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए।
ओलेम गैस लीक केस: इस मामले में पर्यावरण संरक्षण के सिद्धांतों को लागू करने के लिए "सतर्कता सिद्धांत" (Precautionary Principle) और "प्रदूषक भुगतान सिद्धांत" (Polluter Pays Principle) का जिक्र किया गया।
प्रमुख सिद्धांत (Principles)
प्रदूषक भुगतान सिद्धांत (Polluter Pays Principle): इस सिद्धांत के अनुसार, जो व्यक्ति या कंपनी प्रदूषण फैलाती है, उसे ही प्रदूषण के निवारण और सफाई की लागत चुकानी होती है।
सतर्कता सिद्धांत (Precautionary Principle): यह सिद्धांत कहता है कि किसी गतिविधि से पर्यावरण को संभावित नुकसान हो सकता है, तो पहले से ही सावधानी बरती जानी चाहिए।
सतत विकास का सिद्धांत (Sustainable Development Principle): इस सिद्धांत के अनुसार, विकास ऐसा होना चाहिए जो पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हो।
इन कानूनों और सिद्धांतों का अध्ययन LLB के छात्रों को पर्यावरणीय विवादों को समझने, न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से पर्यावरण की रक्षा करने, और कानूनी साधनों का उपयोग करके पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने के लिए सक्षम बनाता है।