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क्या रेत कारोबारी ने SEIAA को प्रस्तुत कि थी भ्रामक जानकारी...? यदि ऐसा है तो फिर वर्षों से क्या कर रहा जिम्मेदार विभाग..?

डिंडोरी -- संभवतः यह प्रदेश का पहला जिला है, जहाँ भ्रष्टाचार के नाम पर प्रशासनिक महकमे के कानो मे जूँ नहीं रेंगति, अन्यथा पर्यावरणीय मंजूरी के नाम पर रेत कारोबारी द्वारा जो खेला आदिवासी अंचल कि बेशकीमती खनिज सम्पदा के साथ किया जा रहा है और राज्य सरकार को सालाना करोड़ों के राजस्व कि क्षति पहुंचाई जा रही है वह करने कि हिमाक़त रेत कारोबारी कभी ना करता। फिर जिला प्रशासन भी अंधेर नगरी चौपट राजा कि कहावत को चरितार्थ करने मे कहीं पीछे नहीं है। सूत्र तो यहाँ तक बताते हैँ कि रेत कारोबारी ने जिले कि रेत खदानो को लेकर पर्यावरणीय मंजूरी के लिये SEIAA को भ्रामक जानकारी परोस दी होगी, जिसे सक्षम अधिकारी द्वारा गठित राज्य विशेषज्ञ मूल्यानकन समिति ( एसईएसी ) और राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए ) कि टिप्पणीयों के जवाब मे प्रस्तुत अतिरिक्त स्पष्टीकरण के आधार पर इआइए अधिसूचना 2005 के प्रावधानो के आलोक मे निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार प्रस्ताव का मूल्यानकन कर दिया होगा।

क्या कहते हैँ नियम..? -- जब यहॉँ हम नियमों कि बात ही कर रहे है तो एक नियम यह भी है कि खनन स्थल से 500 मीटर के भीतर कोई भी मानव बस्ती ना हो। उत्पादन क्षमता कों एसईएसी द्वारा अनुसंशित सीमा तक सीमित रखा जाना चाहिये। फिर क़्वानियनस्पोर्ट तट पर और दुसरे किनारे जाने के लिये किसी भी प्रकार के रेम्प कि अनुमति नहीं दी जानी चाहिये जहाँ परिवहन कि अनुमति नहीं होगी। साथ ही उस किनारे कि ओर अनुमति दी जाती है जहाँ खनन बेसिन कि खुदाई कि जाती है।इसके अलावा सम्पूर्ण पट्टा क्षेत्र को स्वामित्व के अंतर्गत रखा जाता है तथा साइट पर सीमा पत्थर लगाए जाने चाहिये. और तो और किसी भी प्रकार के अंतप्रवाह खनन कि अनुमति नहीं दी जा सकती और खनिज अधिकारी यह सुनिश्चित करेंग्र कि खनन गतिविधि केवल सूखे हिस्से तक ही सीमित रहे जहाँ रेत उजागर हो।इसके साथ ही गड्ढे कि गहराई स्वीकृत खनन योजना के अनुसार ही होनी चाहिये और गाँव के अंदर किसी भी तरह के परिवहन कि अनुमति नहीं होंगी.

क्यों नहीं किया वृक्षारोपण..? -- रेत कारोबारी के गुर्गे द्वारा यूटूबर बुलाकर गलत जानकारी सार्वजनिक कि जा रही है, जबकि वास्तविकता तो यह है कि रेत कारोबारी द्वारा अब तलक नीम, पीपल, बरगद,आम आवला, जामुन,सहजन, अर्जुन,देमेट्रिक आदी के जो पौधे रोप जाने चाहिये थे, वह भी अब तलक नहीं रोपे गये.. क्यों..?

विद्यालय को किया नजरअंदाज -- कायदा तो यह भी कहता है कि पहुँच मार्ग पर नियमित तौर पर जल छिड़काव, गाँव के निकटवर्ती प्राथमिक विद्यालय भवन कि मरम्मत एवं सफेदी करवाना जिसमे चारदीवारी निर्माण सहित खेल मैदान का समतलिकरण शामिल है.साथ ही विद्यालय परिसर मे तीन अतिरिक्त कमरों का निर्माण और उनमे से ही किसी एक मे पुस्तकालय कि स्थापना.इसके अलावा विद्यालय मे नवीन शौचालयों के निर्माण तथा पाइप लाइन या टेंकर के माध्यम से उचित जलापूर्ती,बुनियादी स्कूल फर्नीचर कि आपूर्ती,खेल मैदान मे स्लाइडों कि स्थापना,गाँव के लिये भविष्य कि जलापूर्ती योजना मे योगदान। नियम तो यह भी है कि फोटोग्राफ के साथ अर्धवार्षिक अनुपालन रिपोर्ट और सी एस आर गतिविधि रिपोर्ट प्रस्तुत करना भी अनिवार्य है।

खुलेआम उड़ाई जा रही नियमों कि धज्जियाँ - हमारे द्वारा बुढ़नेर के अस्तित्व कों बचाये रखने और अवैध खनन से जुडी गतितिविधियो को रोके जाने कि कवायद मे सतत अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन जिम्मेदार विभाग कि निष्क्रियता और प्रशासनिक नजरअंदाजगी का आलम यह है कि रेत कारोबारी के गुर्गे खुलेआम नियमों कि धज्जियाँ उड़ा रहे हैँ और नदी मे रेम्प तैयार कर मशीनो के माध्यम से बेखौफ हो रेत निकाली जा रही है।


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