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राजद की राजनीति में लौटा “साहेब” का परिवार, तेजस्वी यादव को डूबती नैया बचाने का सहारा

बिहार की राजनीति में जब भी सिवान का नाम आता है, तो एक नाम सबसे पहले याद आता है—“साहेब,” यानी स्वर्गीय मोहम्मद शहाबुद्दीन। बाहुबल और ताकत का प्रतीक माने जाने वाले शहाबुद्दीन का प्रभाव आज भी सिवान और आसपास के इलाकों में बरकरार है। लेकिन उनके निधन के बाद उनके परिवार का राजनीति में भविष्य अनिश्चितता में था। कई पार्टियों ने कोशिश की कि वे शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब को अपने खेमे में ले सकें। लेकिन, आख़िरकार, ओसामा ने राजद को चुना, एक ऐसा फैसला जो राजद के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।

राजद का थिंक टैंक और सिवान की वापसी

राजद के युवा नेता तेजस्वी यादव पिछले कुछ समय से पार्टी के पुराने बाहुबली नेताओं और पारंपरिक राजनीतिक घरानों से दूरी बना रहे थे। तेजस्वी की यह नई राजनीति उन्हें आधुनिक छवि बनाने में मदद कर रही थी। लेकिन समय के साथ यह स्पष्ट हो गया कि यह रणनीति राजद के लिए उतनी सफल नहीं हो पा रही है। ऐसे में राजद के थिंक टैंक को यह समझ में आ गया कि पार्टी की ‘लालटेन’ से किरासन तेल लीक हो रहा है, और उसे फिर से भरने के लिए पुराने सशक्त जनाधार की जरूरत है।

जब तेजस्वी और राजद ने सिवान की ओर ध्यान दिया, तो यह बात किसी से छिपी नहीं रही कि सिवान में साहेब का परिवार सबसे अधिक प्रभावशाली है। अंततः राजद ने पुराने गिले-शिकवे भुलाकर ओसामा शहाब को पार्टी में आमंत्रित किया, जिसे ओसामा ने स्वीकार भी कर लिया।

ओसामा शहाब की राजनीतिक एंट्री और राजद को राहत

ओसामा शहाब के राजद में शामिल होने के बाद न केवल सिवान में राजद का जनाधार मजबूत हुआ है, बल्कि पार्टी के पुराने समर्थकों में भी उत्साह है। ओसामा ने राजद में शामिल होकर अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया है। यह फैसला न केवल सिवान बल्कि पूरे बिहार के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।

विपक्ष में खलबली, ओसामा की छवि पर हमले की तैयारी

ओसामा के राजद में शामिल होने से विपक्षी दलों में हलचल बढ़ गई है। लगभग सभी विपक्षी दलों ने पहले ओसामा को अपने खेमे में शामिल करने की कोशिश की थी, लेकिन अब उनके राजद में शामिल होने के बाद उनकी छवि को खराब करने की पूरी कोशिशें की जा रही हैं। ओसामा के खिलाफ विभिन्न आरोप और अफवाहें फैलाने का सिलसिला तेज हो गया है। ऐसा लगता है कि विपक्षी दल इस बात से परेशान हैं कि ओसामा की एंट्री से राजद को एक मजबूत समर्थन मिल सकता है, जो उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

क्या राजद की राजनीति में आएगा बदलाव?

ओसामा शहाब का राजद में शामिल होना तेजस्वी यादव के नेतृत्व में एक नया अध्याय खोल सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या राजद की यह नई रणनीति पार्टी को बिहार की राजनीति में एक बार फिर से मजबूत बना पाएगी। साहेब की विरासत और तेजस्वी की नई सोच का मेल राजद के लिए नई संभावनाएं ला सकता है, लेकिन यह भी तय है कि यह यात्रा आसान नहीं होगी।

निष्कर्ष

राजद के लिए ओसामा शहाब का आगमन एक बड़ी उपलब्धि है, जो पार्टी को बिहार में नई मजबूती दे सकता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि तेजस्वी यादव इस नई चुनौती को किस तरह से संभालते हैं और किस प्रकार वे ओसामा शहाब के अनुभव का लाभ उठाकर राजद की राजनीति को एक नई दिशा देते हैं। विपक्षी दलों के हमले और जनता की प्रतिक्रिया के बीच यह गठबंधन क्या रंग लाएगा, यह आने वाले चुनावों में स्पष्ट हो जाएगा।

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