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ईमानदारी

ईमानदारी

ईमानदारी बहोत मंहगी हो गई
बेईमानी बहोत सस्ती हो गई
जिंदगी से रुक्सत बहोत हुए
कइयों को तो मौत से दिल्लगी हो गई
जिसे जिस तरह चाहा लोगो का इस्तिमाल किया
लोगो ने इंसानियत का खून कत्लेआम किया
इन लोगो की फितरत ही यहीं है
इस्तेमाल करो और बेहाल करो
इंसानियत को शर्मशार करो
इस देश का कुछ करना है अगर भला
तो घोटो उनका गला
जो करते नही काम
और मिटाते है दुसरो का नामोनिशान
इंसानों का जमीर मर रहा
हर दिलदार फ़क़ीर बन रहा
हर इंसान दूसरे इंसान को झुकाना चाहता है
पर ऐ इंसान और कितना गिरना चाहता है
आज दिमाग इतना खराब हुआ
जो कभी इतना शांत रहता रहा
आज बेजार क्यों हुआ
ये सोचकर की
समाज मैं भी तेरा ही हिस्सा हु
अगर मर गई तो भी तेरा ही किस्सा हु
अगर मेन्टल डिप्रेशन का शिकार हो
तो क्यों उस डिप्रेशन का वैपार हो
दोस्त मौत सबको आनी है
जिंदगी एक दिन तेरी भी जानी है
कितनो का घर बना सकते हो बना लो
वरना खुद का घर सवार लो
अगर गम हो तो बांट लो
पर किनसे बाटोगे ये भी जान लो
क्योंकि आज हर कोई तेरा हाल पूछेगा
कल मोहल्ले में तेरे हाल का मजाक बीछियोगा
इससे बेहतर है खुद का हाल
ऐ बन्दे खुद ही संभाल
और फिर न होगा कोई बवाल
तू रहेगा खुशहाल

- एक इंसान
इशरत जहां नूरमोहम्मद खान

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