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9 नवम्बर – विश्व उर्दू दिवस

उर्दू है जिस का नाम हमीं जानते हैं 'दाग़';
हिन्दोस्ताँ में धूम हमारी ज़बाँ की है !
दाग़ देहलवी

बात करने का हसीं तौर-तरीक़ा सीखा;
हम ने उर्दू के बहाने से सलीक़ा सीखा !
मनीश शुक्ला

मेरी घुट्टी में पड़ी थी हो के हल उर्दू ज़बाँ;
जो भी मैं कहता गया हुस्न-ए-बयाँ बनता गया!
फ़िराक़ गोरखपुरी

'विश्व उर्दू दिवस', 9 नवंबर को सर मोहम्मद इकबाल की जयंती पर उर्दू विरासत, संस्कृति और दक्षिण एशियाई कला, इतिहास और साहित्य पर इसके प्रभाव का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। अल्लामा इकबाल के नाम से विख्यात और 1904 में “सारे जहाँ से अच्छा” (औपचारिक रूप से तरानाय-हिन्दी) गीत आपने ही लिखा था। यह गीत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रवाद और ब्रिटिश राज के विरोध का प्रतीक बन गया था और आज भी भारत में देशभक्ति का प्रतीक माना जाता है। उर्दू भाषा 24 से अधिक देशों में बोली जाती है। उर्दू भाषा संचार के साधन से कहीं अधिक गहरी काव्यात्मक और संगीतमय गुणों वाली भाषा है, जो दुनिया भर के लाखों लोगों के बीच गूंजती है। भाषा की गीतात्मक प्रकृति ग़ज़लों, नज़्मों और कव्वालियों की रीढ़ रही है, जो श्रोताओं को प्रेम, लालसा और दर्शन की परिष्कृत अभिव्यक्तियों से मंत्रमुग्ध कर देती है।

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