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साहित्यकार और शिक्षाविद् रामचंद्र प्रसाद सिंह राकेश हमारे लिए प्रेरणा स्रोत

वैशाली और 'ओ डेथ 'के चर्चित लेखक, कवि और साहित्यकार सह सेवानिवृत प्रधानाध्यापक रामचंद्र प्रसाद सिंह की याद में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन ऐतिहासिक गांधी स्मारक प्रांगण में किया गया । इस अवसर पर रामचंद्र बाबू के 'व्यक्तित्व व कृतित्व 'की विषय पर चर्चा आयोजित की गई । चर्चा की अध्यक्षता साहित्यकार शंभू शरण मिश्र जबकि संचालन शिक्षक व कलाकार उमेश कुमार निराला ने किया। सर्वप्रथम उपस्थिति लोगों ने स्वर्गीय रामचंद्र बाबू के तैलीय चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी । उसके बाद रामचंद्र बाबू के व्यक्तित्व व कृतित्व पर परिचर्चा की शुरुआत की । उपस्थित वक्ताओं कहा कि रामचंद्र बाबू एक शिक्षक के साथ-साथ कुशल समाजसेवी भी थे। इन्होंने अंग्रेजी में ओ डेथ नमक किताबें लिखी जो हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है।आज भी इनकी दो किताबें तैयार है जिन्हें प्रकाशित किया जाना है । हमलोगों की सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब इनकी किताबें प्रकाशित होकर हमारे बीच आ जायें। वक्ताओं ने कहा कि वे सहज और सरल स्वभाव के थे। उन्होंने समाज और लेखक के रूप में अपने आप को स्थापित किया है। इन्होंने अपने पीछे भरा पड़ा परिवार छोड़ गये है। इनके दो पुत्र डॉ.सुधांशु कुमार चक्रवर्ती और सुधाकर कांत चक्रवर्ती दोनों शिक्षक हैं और उनकी चारों पुत्रियां शिक्षिका ,चिकित्सक और समाजसेवी हैं। इस अवसर पर डॉ शिव बालक राय प्रभाकर, डॉक्टर नंदेश्वर प्रसाद सिंह, मेदिनी कुमार मेनन , डां संजय विजित्वर ,सोनी सिंह आर्या, वीर चंद्र कुमार, प्रेम कुमार सिंह उपस्थित रहे । कार्यक्रम के अंत में 2 मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।

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