दामजीपुरा स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों से दुर्व्यवहार का आरोप
मरीजों से खराब व्यवहार पर डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी की कार्यशैली पर उठे सवाल
मरीजों से दुर्व्यवहार पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी से कार्रवाई की मांग
बीएमओ की मौजूदगी में भी डॉक्टर का अड़ियल रवैया
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बैतूल:- भीमपुर विकासखंड के दामजीपुरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों के साथ दुर्व्यवहार और अमानवीय व्यवहार की घटनाएं आम होती जा रही हैं। मंगलवार को हुए मामले ने ग्रामीणों में नाराजगी पैदा कर दी है, जहां डॉक्टर पंकज उइके और एएनएम कविता पवार पर मरीजों से बदसलूकी करने और मनमाने पैसे वसूलने का आरोप लगा है। बीएमओ दीपक निगवाल के हस्तक्षेप के बावजूद स्वास्थ्य कर्मियों का रवैया नहीं बदला।
मंगलवार को दामजीपुरा के निवासी विनोद राठौर के पिता मयाराम राठौर इलाज के लिए दामजीपुरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे थे। आरोप है कि डॉक्टर पंकज उइके और स्वास्थ्य कर्मी कविता पवार ने उनसे बदतमीजी की। विनोद राठौर ने बताया कि उनके पिताजी को इलाज के दौरान बेइज्जत किया गया और उनसे अभद्र भाषा का उपयोग किया गया। जब विनोद ने डॉक्टर से फोन पर बात की, तो डॉक्टर पंकज उइके ने साफ कहा, जहां तमीज से बात की जाती है, वहीं इलाज करवाए, यहाँ आने की जरूरत नहीं है।
-- बीएमओ के हस्तक्षेप के बावजूद नहीं बदला व्यवहार--
मामले की गंभीरता को देखते हुए बीएमओ दीपक निगवाल स्वयं दामजीपुरा स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। विनोद राठौर ने पूरी घटना और कॉल रिकॉर्डिंग के माध्यम से दुर्व्यवहार का प्रमाण प्रस्तुत किया, लेकिन डॉक्टर पंकज उइके ने अपनी गलती मानने से इनकार कर दिया और बीएमओ के सामने भी बदतमीजी से पेश आए। बीएमओ ने डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों को सुधारने का प्रयास किया, लेकिन स्वास्थ्य केंद्र का माहौल बिगड़ता ही गया।
विनोद राठौर ने बताया कि दामजीपुरा स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों से अभद्र व्यवहार और अवैध वसूली की घटनाएं अब आम हो चुकी हैं। आए दिन मरीजों से बदसलूकी की शिकायतें मिलती हैं और स्वास्थ्य कर्मियों का अड़ियल रवैया ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। -- मुख्य चिकित्सा अधिकारी से कार्रवाई की अपेक्षा--
बीएमओ के हस्तक्षेप के बावजूद, डॉक्टर पंकज उइके और एएनएम कविता पवार पर कार्रवाई नहीं होने से ग्रामीणों में रोष है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि स्वास्थ्य कर्मियों का रवैया इसी प्रकार रहा तो स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ आम आदमी तक पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। अब क्षेत्रीय ग्रामीणों की नज़रें मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर टिकी हैं कि वह इन स्वास्थ्य कर्मियों पर क्या कार्रवाई करेंगे।