सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा एक्ट को माना वैध, हाई कोर्ट का फैसला पलटते हुए CJI चंद्रचूड़ ने कही ये बात...
(UP Madarsa Act) : सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट को संवैधानिक रूप से सही ठहराते हुए कहा है कि इस कानून में कोई असंवैधानिकता नहीं है। तीन जजों की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि यूपी मदरसा एक्ट (UP Madarsa Act) संविधान के अनुरूप है, इसलिए इसे खारिज करने का आधार नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता और सुविधाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि इस कानून का उद्देश्य मदरसा प्रणाली का समर्थन करना है, न कि उसे समाप्त करना। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकार इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें इस एक्ट को असंवैधानिक करार दिया गया था।
संविधान पीठ का संतुलन पर जोर:
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई में संविधान पीठ ने अपने फैसले में अल्पसंख्यक अधिकारों और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अधिकार के बीच संतुलन पर ध्यान देने की बात कही। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह के कानूनों का उद्देश्य मदरसों में शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाना होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2004 का मदरसा कानून एक विनियामक एक्ट है और इसे संविधान के अनुच्छेद 21A के अंतर्गत समझा जाना चाहिए, जो शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करता है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट में खारिज:
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि मदरसा एक्ट संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ नहीं है। इससे पहले मार्च में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस एक्ट को असंवैधानिक घोषित कर दिया था, जिसमें इसे धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन बताया गया था। यूपी सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपने पक्ष को स्पष्ट किया और कहा कि यह कानून पूरी तरह से संवैधानिक है।
उत्तर प्रदेश में मदरसों की स्थिति:
उत्तर प्रदेश में कुल लगभग 23,500 मदरसे हैं, जिनमें से 16,513 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं। इनमें से 560 मदरसे ऐसे हैं जो सरकारी सहायता प्राप्त हैं, जबकि शेष 8,000 मदरसे बिना मान्यता के चल रहे हैं।