"---गुनाहों-के दल-दल में फंसता युवा पीढ़ी "--
"---गुनाहों-के दल-दल में फंसता युवा पीढ़ी "---
गुनाहों-के दल-दल में फंसता युवा पीढ़ी है,
कहीं अंजाने में अंजाम हो जाता है,
कहीं मजबूरी में जकड़े पकड़ें जातें हैं,
साथियों के साथ निभाने वाले भी फंस जाते हैं,
शातिर बदमाश गुनाहों के मगर होते हैं,
वे चैन से रहते और सुकून से सोते हैं,
डर नहीं उनको कानून को वो खेल समझते हैं ,
गुनाहों-के दल-दल में फंसता युवा पीढ़ी है--- ।। 1 ।।
यहां भूख गरीबी से बढ़कर क्या और कोई गुनाह हैं ,
कहीं किसी के संस्कारों में कमी है ,
कहीं किसी की संस्कृति की लड़ियां मढ़ी है ,
जहां पर मढ़े ये ज्ञान की कहानियां ,
न्योछावर करने को युवा तैयार अपनी जवानियां ,
ये भटकता युवा तो समझता नहीं कुछ है ,
समझाऐ कोई तो भड़कता बहुत है ,
गुनाहों-के दल-दल में फंसता युवा पीढ़ी है-----।। 2 ।।
वाह गुनाह तेरे रूप अनेकों है यहां ,
गुनाहगारों की नहीं कोई जातियां
कहीं छोटी सी चोरी सीनाजोरी की कवायदें ,
स्मगलिंग सबसे बड़े हथियार इनके,
डकैती जूंवा वसूली हो इनकी धरोहर ,
नशे के सौदागर बड़े नाम चकाचौंध में ,
डोडा चूरा, हफीम, काली तीर इस दौर में ,
लगता है जैसे गुनाह जीवन का एक अंश है ,
हर गुनाह इनकी कीमती धरोहर है ,
गुनाहों-के दल-दल में फंसता युवा पीढ़ी है -----।। 3 ।।
कहीं शौक गुनाहों के पालें जाते हैं ,
शौक पूरे करने की खातिर चले आते हैं ,
शहंशाहों की दिखती कहीं किसी को सूरत ,
नकलबाजी के चक्कर में रगड़ आते हैं ,
कितने-कितने रुप गुनाहों के है यहां ,
सब गुनाहों के दल-दल में ढ़केले जाते हैं ,
क्षणिक आवेश में ये आ जाते हैं ,
जेलों को अपना मंदिर समझते हैं ये ,
तभी तो आना जाना इनका लगा रहता है ,
गुनाहों-के दल-दल में फंसता युवा पीढ़ी है ----- ।। 4
कई इन गुनाहों के वफादार हैं ,
राजनीतिक और राजनीति कहीं जिम्मेदार है ,
समाजिक परिवेश भी है कारण यहां ,
कानून की भी ज़िम्मेदारियां बनती है बराबर-बराबर ,
आओ मिलकर प्यार मोहब्ब्त से जीते दिल इनके ,
गुनाहों-के रास्ते से निकाले इन्हें ,
युवाओं की धड़कते दिलों पर रखे हांथ अपने ,
समाज से बुराई को खत्म करें ,
जिम्मेदारी सभी की बनती है ,
गुनाहों-के दल-दल को साफ करने की जरूरत है ,
कौन है जिम्मेदार इसके यहां ,
गुनाहों-के दल-दल में फंसते युवा पीढ़ी है----- ।। 5 ।।
✍️ Suresh Patel ✍️
DATE: 05/11/2024