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अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मंगलवार का दिन क्यों चुना गया? 270 इलेक्टोरल वोट की अहमियत और हाथी-गधे का प्रतीक क्या दर्शाता?"


अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव 2024: क्यों मंगलवार का दिन चुना गया, 270 इलेक्टोरल वोट की अहमियत और हाथी-गधे के चुनावी प्रतीकों की दिलचस्प कहानी

अमेरिका में 5 नवंबर 2024 को राष्ट्रपति चुनाव का आयोजन होगा, जो वहां का 60वां राष्ट्रपति चुनाव है। इस चुनाव के माध्यम से अमेरिकी जनता अपने नए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चयन करेगी। अमेरिका में राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 वर्षों का होता है और इस बार चुना गया राष्ट्रपति 20 जनवरी 2025 को अपने पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण करेगा। इस बार के चुनाव में, रिपब्लिकन पार्टी ने डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति पद के लिए और जेडी वेंस को उपराष्ट्रपति पद के लिए मैदान में उतारा है, जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार और टिम वाल्ज़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है। इसके अलावा, कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भी हैं, जो जनता का ध्यान आकर्षित करने के प्रयास में लगे हैं।

अमेरिका में क्यों मंगलवार को होता है चुनाव?

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हमेशा नवंबर महीने के पहले सोमवार के बाद वाले मंगलवार को ही होता है। अगर नवंबर महीने की शुरुआत में पहला दिन मंगलवार है, तो भी चुनाव अगले मंगलवार को ही कराए जाते हैं। इस परंपरा की शुरुआत 1845 में हुई थी, जब अमेरिका के सभी राज्यों में एक साथ चुनाव कराने का कानून बनाया गया था। उस समय, अमेरिकी समाज में ज्यादातर लोग किसान थे, जिनके पास नवंबर के महीने में खेती-बाड़ी से थोड़ा समय मिल जाता था। इसलिए यह महीना चुनाव के लिए उपयुक्त समझा गया।

लेकिन सवाल यह भी उठता है कि मंगलवार का दिन ही क्यों चुना गया? दरअसल, उस समय अमेरिका के लोग अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रविवार का दिन चर्च में प्रार्थना के लिए समर्पित करते थे। इसलिए रविवार को वोटिंग का दिन नहीं बनाया जा सकता था। इसके अलावा, बुधवार का दिन बाजार के लिए निर्धारित था, और इस दिन देश के लोग आवश्यक सामान खरीदने के लिए बाजारों में जाते थे। इन सब कारणों के चलते मंगलवार का दिन सबसे उपयुक्त माना गया और तब से लेकर आज तक राष्ट्रपति चुनाव हमेशा इसी दिन कराए जाते हैं।

अमेरिका की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां और उनकी भूमिका :

अमेरिका में कई राजनीतिक दल हैं, लेकिन चुनावी प्रक्रिया में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी का दबदबा है। डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी देश की सबसे पुरानी और मजबूत पार्टियां हैं, जिनके समर्थक और विचारधारा व्यापक रूप से फैले हुए हैं। इसके अलावा, ग्रीन पार्टी, लिबर्टेरियन पार्टी और कॉन्स्टिट्यूशन पार्टी जैसे अन्य छोटे दल भी चुनाव में भाग लेते हैं, लेकिन उनका प्रभाव मुख्यतः सीमित ही रहता है। ये छोटे दल आमतौर पर केवल नाम मात्र के लिए चुनाव में भाग लेते हैं और अधिकतर मामलों में बड़ी पार्टियों के सामने उनकी उपस्थिति नजरअंदाज हो जाती है।

वोटिंग के नियम और समय: कब और कैसे डाल सकते हैं वोट?

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान करने के लिए नागरिक की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। सभी अमेरिकी राज्यों में, नॉर्थ डकोटा को छोड़कर, मतदाताओं को वोटिंग से पहले खुद को पंजीकृत करना होता है। प्रत्येक राज्य का अपना अलग वोटर पंजीकरण प्रक्रिया होती है और हर राज्य की पंजीकरण की समयसीमा अलग होती है।

राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक होता है। भारतीय समयानुसार, मतदान 5 नवंबर की शाम 4:30 बजे से 6 नवंबर की सुबह 6:30 बजे तक होगा। इस दौरान भारतीय दर्शक अमेरिकी चुनाव के परिणाम और रुझान को लाइव देख सकेंगे।

एग्जिट पोल और नतीजों की घोषणा कब होगी?

अमेरिका में चुनाव खत्म होते ही एग्जिट पोल के नतीजे सामने आने लगते हैं और वोटों की गिनती का काम तेजी से शुरू हो जाता है। भारतीय समयानुसार, एग्जिट पोल के शुरुआती नतीजे 6 नवंबर की सुबह 6:30 बजे के बाद से आने लगेंगे। हालांकि, राष्ट्रपति चुनाव का अंतिम परिणाम आने में कुछ दिन या सप्ताह भी लग सकते हैं, खासकर यदि कानूनी चुनौतियाँ या अन्य मुद्दे उठते हैं। आमतौर पर, जब तक सभी राज्यों में काउंटिंग पूरी नहीं हो जाती, तब तक पूरी तस्वीर स्पष्ट नहीं होती। यह प्रक्रिया तब और अधिक लंबी हो सकती है यदि किसी एक उम्मीदवार और पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है।

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज की भूमिका :

अमेरिकी संविधान के अनुच्छेद 2 के तहत राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया तय की गई है, जिसमें इलेक्टोरल कॉलेज का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इलेक्टोरल कॉलेज में कुल 538 सदस्य होते हैं और राष्ट्रपति बनने के लिए किसी भी उम्मीदवार को कम से कम 270 इलेक्टोरल वोट की आवश्यकता होती है। प्रत्येक राज्य के पास निर्धारित संख्या में इलेक्टोरल वोट होते हैं, जो राज्य की जनसंख्या पर आधारित होते हैं। इन वोटों का सिद्धांत ‘विनर टेक्स ऑल’ पर आधारित है, जिसका मतलब है कि किसी भी राज्य में जो उम्मीदवार सबसे अधिक वोट प्राप्त करता है, वह उस राज्य के सभी इलेक्टोरल वोट जीत लेता है।

इस प्रणाली का एक उदाहरण 2016 के चुनाव में देखने को मिला, जब डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने लोकप्रिय वोटों में अधिक वोट हासिल किए थे, लेकिन इलेक्टोरल वोट में डोनाल्ड ट्रंप ने जीत दर्ज की और राष्ट्रपति बने। अगर कोई उम्मीदवार 270 इलेक्टोरल वोट नहीं जुटा पाता है, तो हाउस ऑफ रेप्रेजेंटेटिव, जिसे लोकसभा की तरह माना जा सकता है, राष्ट्रपति का चयन करता है। हाउस में 435 प्रतिनिधि होते हैं, लेकिन इस विशेष वोटिंग में हर राज्य को केवल एक वोट दिया जाता है। ऐसे में जो उम्मीदवार 50 में से 26 वोट हासिल कर लेता है, उसे राष्ट्रपति घोषित कर दिया जाता है।

चुनावी प्रतीक: डेमोक्रेटिक पार्टी का गधा और रिपब्लिकन पार्टी का हाथी कैसे बने?

अमेरिका में चुनावी प्रक्रिया का एक अनूठा हिस्सा डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियों के प्रतीक हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रतीक गधा है, जबकि रिपब्लिकन पार्टी का प्रतीक हाथी है। इस कहानी की शुरुआत 1828 में हुई, जब एंड्रयू जैक्सन डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे। उनके प्रतिद्वंदी, व्हिग पार्टी के उम्मीदवार जॉन एडम्स, जैक्सन का मजाक उड़ाने के लिए उन्हें "जैकएस" (Jackass) कहकर पुकारने लगे, जिसका मतलब गधा होता है।

जैक्सन ने इसे अपने सम्मान की बात मानकर अपने चुनावी पोस्टरों में गधे का चित्र जोड़ लिया और इसे अपनी पार्टी का प्रतीक बना लिया। दूसरी ओर, रिपब्लिकन पार्टी का हाथी प्रतीक 1874 में राजनीतिक कार्टूनिस्ट थॉमस नास्ट द्वारा प्रस्तुत किया गया था और इसे जनता ने अपनाया। अब यह दोनों प्रतीक अमेरिकी राजनीति का हिस्सा बन चुके हैं और चुनावों में इनका अहम रोल होता है।

चुनाव से पहले एडवांस वोटिंग का महत्व :

अमेरिका में चुनाव से पहले एडवांस पोलिंग का प्रचलन भी है, जिसे बिजी लाइफस्टाइल को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया है। इस साल चुनाव से पहले ही करीब 1.5 करोड़ अमेरिकी मतदाताओं ने डाक के माध्यम से अपने वोट डाल दिए हैं। इस व्यवस्था का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी मतदाता अपने वोट का प्रयोग कर सकें, चाहे उनकी दिनचर्या कितनी भी व्यस्त क्यों न हो।

अमेरिकी चुनाव की प्रक्रिया लोकतंत्र का एक मजबूत उदाहरण प्रस्तुत करती है, जिसमें जनता की आवाज को सर्वोपरि माना जाता है। इलेक्टोरल कॉलेज प्रणाली, चुनावी प्रतीकों का महत्व और जनता की भागीदारी इसे दुनिया के अन्य चुनावों से अलग और रोचक बनाती है।

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