--- तैरकर देखो दिन दुखियों की बगियां में ----
" खुशी में खुद से लूट जाओगे "
कभी नेकी की दरिया में कुद कर देखो,
दरिंदगी बदी भूल जाओगे ।
तैरकर देखो दिन दुखियों की बगियां में,
खुशी में खुद से लूट जाओगे ।।
धर्म-कर्म जीवन में खुब किऐ होंगे आपने
एकबार मिलो अंधे लूले लंगड़े अपाहिजों से ।
जीवनशैली अपना भूलकर दर्द बांटोगे उनका ,
लगा लोगे सीने से भर लोगे उन्हें अपनी बांहों से ।।
दर्द की बात सुनना मंजूर नहीं तुम्हें ,
थोड़ी सी दर्द में खुद कराह उठते हो ।
महलों में रहने वालों जरा झांककर देखो,
नीचे झोपड़ी को जहां तुम रहते हो ।।
शौक की चीजें तुम्हारे सब कुछ मंहगे होंगे,
घर, गाड़ी बंगलों भोजन भी मंहगे हैं ।
सोनें की गहनों से भरी होगी तिजोरी तुम्हारी ,
दे दो वे कपड़े गरीबों को जो तुमने पहनें हैं ।।
बस इतनी सी इल्तिज़ा है मेरी तुमसे,
एक मुस्कान उन्हें भी देकर तो देखो ।
मिलेगा मन को तसल्ली सुकून दिल को तुम्हारे,
देखकर उनकी हंसी खुशी और उनके ईशारे ।।
आज दोगे मेहनत की कमाई से कुछ बचाकर,
तृप्त होगी पेट उनके दूर होगी जब समस्याएं ।
धर्म और मानवता कहता है हमारी तुम्हारी
मिलेगा वहीं देकर दान पुण्य तुमने जो बचाऐ ।।
✍️ Suresh Patel ✍️
DATE : 04/11/2024