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"अखंड भारत: एक सपना, एक संकल्प"

दिनांक :- ०३-११-२०२४
राष्ट्र की सेवा ही धर्म हमारा,
इस पथ पर बढ़े, हर कदम न्यारा।
सत्य और निष्ठा की ये राह,
समर्पण में छुपा जीवन का उल्लास।

धरती, आकाश, हवा, पानी,
इनसे ही तो जुड़ी है हमारी कहानी।
राष्ट्र का निर्माण हमसे ही होगा,
प्रत्येक प्रयास से भारत सजेगा।

बलिदान की गाथा से लिखा गया इतिहास,
हर युग में बलिदान का रहा है प्रकाश।
कदम-कदम पर तिरंगा फहराना,
राष्ट्र सेवा में अपना जीवन लगाना।

संपदा हो चाहे बलिदान का मोल,
राष्ट्र प्रेम की ज्वाला में जलें हर पल।
यही हमारा सपना, यही स्वप्न सजीव,
राष्ट्र सेवा सर्वोपरि, यही लक्ष्य अतीव।... धर्मदीप भीखूभाई जलु (सूरत)

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