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चर्चा ए आम चलन हो गया है, मीडिया जगत बदनाम हो गया है।(सम्पादकीय)

क्या कहूं आजकल तीर नस्तर से नहीं जुबान से निकलते हैं...
जिसे आदत न हो तूफानों से लड़ने की वो तबलमंज कस्ती नस्तरों से मात खाती है...
वाक्या लोग सुनाते हैं... हम तो हकीकत लिखते तो जान दाव पर लगाते हैं..
आजकल रामलीला दलाललीला का उदाहरण बनती जा रही और जय श्रीराम का मंत्र पापलीला बनती जा रही है... आजकल रामलीलायें स्थानीय जनप्रतिनिधियों के भाग्यलीला में राहु पत्रकार और केतु दलाल व भस्मासुर बन प्रशासन की गरिमा दाव पर लगाये बैठी हैं। क्योंकि वक़्त का तकाजा दस्तक दे रहा है कि अरे रे रे महानुभाव स्वयं बदल बदला ले या बदल दे... छी छी.. शर्म हया रख.. गर स्टेटस गरिमा है और तबलमंजनी दलाली बीच चौराहे पर जूतम पैजार है तो त्याग कर..तबलमंजनी दलाली जैसे स्टेटस का। मानता है जमाना कि आजकल स्टेटस वैल्यूलेवल है मगर रिस्क पर न कि तबलमंजनी दलाली पर... आजकल स्थानीयता क्षेत्रता में किसी बैनर तले लेखनी में दलाली नहीं बल्कि सेवा भाव को लोग सलाम करते हैं। विभाग कोई हो.. या फिर जबाब कोई हो..निस्वार्थ निःसभाव होना चाहिए। आजकल पत्रकारिता व शासन प्रशासन की कार्यप्रणालिकता में तबलमंजनी दलाली एक क्षेत्र की ही नहीं बल्कि पूरे सर्व समाज सनातन में रामलीला कार्यक्रम दलालीलीला का चलन बन गया है.. जहाँ पर मीडिया पत्रकार तबलमंज दलालों के साथ साथ पुलिस प्रशासन शासन की छवि धूमिल होती है मात्र अवैध उगाही भर को। जबकि सामाजिकता में ईमानदारी जेल काट रही या षड्यंत्रात्मक मुकदमों का शिकार हो रही... मगर फिर भी ईमानदारी को झुक कर लोग सलाम करते हैं...यह रियल जमीनी स्टेटस है...जो भी है जिसका भी है। आजकल की पत्रकारिता कीर्तमान बड़े बैनर तले अपने नियुक्त तबलमंज दलाल पत्रकार एजेंसियों को लेकर क्षेत्र थाने की दलाली शिकायत समझौता बन दांतो तले ऊँगली साबित हो रही है...यह नगर देहात क्षेत्रीयता की पराकाष्ठा है... जबकि पुलिस प्रशासन जनप्रतिनिधि सिफारिशों के साथ साथ पत्रकार, दलाल मुक्त होना चाहिये। मगर यह सब कुछ थाना परिसर पैठ बनाकर मालामाल होने के साथ साथ चौराहे पर जूतम पैजार कर ईमानदारी को घुन लगा रहे हैं.....आजकल पत्रकारिता, दलाली सिफारिशें पुलिस थानों की रखैल बनकर चौराहे पर जूतम पैजार को तैयार है...
ऐसा ही वाक्या अभी हाल ही में श्री गणेश हुआ जो क्षेत्र में चर्चा ए आम हो गया कि रामलीला के बाद चौराहे पर एक मीडिया कर्मी सिर्फ़ इसलिए अपमानित हुआ कि उसने रामलीला में लगी मीना बाजार से पुलिस द्वारा पकड़े गए व्यक्ति से चंद कौड़ियाँ लेकर छुटवा दिया था.. रंज खाये उस व्यक्ति ने फिर घात लगाकर मीडिया कर्मी से चौराहे पर जूतम पैजार की जोकि मीडिया के गिरते स्तर का निम्न कारण है।
शायद इसीलिए मीडिया हित को काम करते सामाजिक संगठन उनकी कोई मदद नहीं कर पाते हैं..।

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