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प्रेमिका की निर्मम हत्या

ये विमल सोनी है। कानपुर का एक जिम ट्रेनर जिसका पेशा अधिकारीयों को भी जिम की ट्रेनिंग देना था। । एकता गुप्ता एक आम आदमी की बीवी थी, दो बच्चे थे, उसी जिम में जाती थी जहाँ विमल ट्रैनिग दिया करता था। दोनों के बीच प्रेम हुआ सम्बन्ध बने और एकता रिश्ते के प्रति शायद पजेसिव हो गई। विमल की शादी की बात चली तो एकता ने विरोध किया, विमल ने एकता को साथ चलने को कहा, दोनों कार से निकले, एकता का क़त्ल हुआ, विमल ने आश्चर्यजनक तरीके से एकता का शव उसी डीएम कंपाउंड में गाड़ दिया जहाँ वो अधिकारीयों को ट्रेनिंग देने जाता था। पति ने बाकायदा नामजद एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने मामले की जांच गंभीरता से नहीं की और चार महीने बीत गए। पति इधर उधर भटकता रहा, बीवी को खोजता रहा। आख़िरकार विमल का फ़ोन सर्विलांस पर सुना गया, उसकी लोकेशन निकाली गई, उसको पकड़ा गया और पूछताछ में उसने घटना स्वीकार कर ली। अब देखने वाली बात है कि जब विमल ने एकता की हत्या चार महीने पहले ही कर दी थो तो उसके लाखों ले जेवर और लाखों का कैश कहाँ गया। वो कहाँ छुपा रहा और पुलिस ने घटना की जांच में गंभीरता क्यों नहीं दिखाई। घटना में हिन्दू मुस्लिम का तड़का नहीं है तो एक डीएम के आवास के अतिसुरक्षित कंपाउंड में कोई छह फ़ीट अंदर तक गड्ढा खोदकर लाश दफ़न कर देता है, ये नेशनल न्यूज़ में नहीं है।

लखनऊ के उस ब्राम्हण लड़के की पुलिस हिरासत में हत्या भी किसी नेशनल न्यूज़ में नहीं है क्यूंकि बाबा की पुलिस राष्ट्रवादी है, एक खास मिशन पर है । इन छोटी घटनाओं को लेकर पुलिस से सवाल करना उनके मनोबल को कम करने के समान है।

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