logo

अब गर्भ में नहीं मारी जायेगी कोई बेटी - दहेज मुक्त विवाह (रमैनी) हुआ संपन्न।

अब बहन बेटियों का जीवन होगा सुखमय ~
~संत रामपाल जी महाराज~

AIMA NEWS PANNA
अमानगंज में एक ऐसा आयोजन किया गया जिसमें एक साथ दो जोड़ों का दहेज मुक्त विवाह सादगी पूर्वक संपन्न हुआ।
जी हां हम बात कर रहे हैं जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की ।
जिनके सानिध्य में जिला पन्ना तहसील अमानगंज में जिला स्तरीय सत्संग का आयोजन किया गया। जिसमें एलईडी के माध्यम से संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग हुआ ।
और इसकी विशेषताएं यह रही कि, इस सत्संग के दौरान दो जोड़े दहेज मुक्त विवाह संपन्न किए गए जिसमें किसी प्रकार का दहेज ना तो लिया गया अथवा ना दिया गया और यह विवाह मात्र 17 मिनट में गुरु वाणी के द्वारा संपन्न हुआ।
सत्संग स्थल पर उपस्थित जिला कॉर्डिनेटर भक्त हिसाबी लाल कुशवाहा, विजय चौरसिया, धीरज विश्वकर्मा और अन्य सेवादारों जगप्रसाद कबीरपंथी, रामसेवक पटेल श्यामलाल दास , राम खिलावन दास, संत कुमार दास, गोपाल सिंह परिहार पूर्व सरपंच, लम्पा प्रसाद रिटायर्ड वन अधिकारी, आदि के द्वारा बताया गया कि मात्र 17 मिनिट में गुरुवाणी से सम्पन्न हुए दहेज मुक्त विवाह (रमैनी) संत रामपाल जी महाराज के अनुयाई अपने गुरुदेव के वचनों का पालन करते हुए एक ऐसा विवाह(रमैनी) समाज के सामने पेश कर

37
3466 views
2 comment  
  • Sushil Kumar Tripathi

    सब लिए कल्पना जैसा लगता है अभी बड़े-बड़े घरों में योगी बड़े धनबाद लोग हैं वह भी बेटी के होने पर बढ़ाओ जैसा कार्यक्रम नहीं करते जबकि लड़के के होने पर डिग्गी पीठ से फिरते हैं

  • Ramjee Kori

    जो वाकई देखने व प्रेरणा लेने के योग्य है। इस विवाह में किसी भी प्रकार का दिखावा जैसे- न डीजे, न बैंड, न बारात, न भात, न मंडप, न फेरे अपितु अपने गुरुदेव के मुख से उच्चारित "17 मिनट की वाणी (जिसे दूसरे शब्दों में रमैणी)" कहा जाता है, को साक्षी मानकर जीवन भर एक दूसरे का सुख-दुख में साथ देने, प्रेम पूर्वक रहने व किसी भी प्रकार की बुराई (जैसे चोरी- जारी, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार, बेईमानी, ठगी) न करने का वचन लेते हैं। रमैणी यह 17 मिनट की असुर निकंदन रमैणी होती है जिसे फेरों के स्थान पर बोला जाता है। जिसमें विश्व के सर्व देवी-देव तथा पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी का आह्वान तथा स्तुति प्रार्थना की जाती है। जिससे सर्व शक्ति उस विवाहित जोड़े (वर-वधु) की सदा रक्षा करते हैं। जिससे जीवन में आने वाले दुःखों का निवारण आसानी से हो सकेगा।