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कोरा जीवन.... सफेद कागज समान....लेखक दलीचंद जी सातारा
कोरा जीवन.... सफेद कागज समान....
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✍️ लेखक की कलम से......
कविताओं का मनुष्य के जीवन में कितना महत्व है.....?
"" "" "" कोरा जीवन यानि की जिस जीवन में आपने कोई आंनद रस नहीं भरा तो समज लेना की वह जीवन सफेद कोरा कागज समान हि है जिस कागज पर पढ़ने के लिए कुछ लिखा हुआ ही न हो तब उस कागज का महत्व नहीं होता है परन्तु उसी कागज पर कुछ ज्ञान वर्धक मजकूर लिखा हो तो उस कागज की वेल्यू दस गुणा बढ़ जाती है जैसे उदाहरणार्थ बिन टहनी बिन हरे पतें वाला पेड़ ठूंट कहलाता है उसमें जीवन जीने का कोई रस नहीं होता है वह रात होते ही दूर से भूत जैसा आकार दिखाई देता है, उस रस्ते से गुजरने वाले लोग देखकर डर जाते है ठीक उसी प्रकार से हर मनुष्य के जीवन में संगीत, त्यौहार, भजन, ज्वेलरी, नव वस्त्र धारण करना "कवियों की कविताएं" पढ़ना सुनना और समाज के मंदिरों पर विश्वकर्मा जयंती व गणेश चतुर्थी के उत्सव पर स्टेज पर की सत्संग का आंनद लेना वह सामुहिक भोजन प्रसादी का आंनद लेना यही जीवन की रसमय धारा ही (आंनद) है मेरे भाई...... इसके बिगर मनुष्य का जीवन उस ठूंट वाले पेड़ के समान रुखा-सुखा हो जाता है वह "कोरा जीवन सफेद कागज समान" होकर रह जाता है और वही मनुष्य आंनद से वंचित रह जाता है इसीलिए मनुष्य जीवन में कविताओं का भी उतना ही महत्व है जितना जिलेबी में शक्कर की सासनी का होता है.....वर्ना सासनी के बिगर जिलेबी का महत्व जीरो रह जाता है।
लेखक कवियों का यह फर्ज हि बनता है की समाजापियोगी कविताएं व लेख स्वरूप काव्य रचनाएं कर समाज में ज्ञान सरिता बहाये व समाज में एक प्रकार का आंनद रस भरे ताकी समाज साहित्य से लोग जानकार रहे और कवि कोई स्वर्ग में ले जाने का वादा तो नहीं करते है परन्तु कवि जहां जाते है तो अपनी कविताओं से स्वर्ग जैसा खुशनुमा मोहल जरूर बना देते है यही उनकी लेखनी कला उन्हैं सबसे अलग बनाती है यही काव्य संग्रह उनकी धन संपदा होती है जी.....
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जय श्री विश्वकर्मा जी की
लेखक कवि दलीचंद जांगिड़ सातारा महाराष्ट्र
मोबाइल 9421215933