माँ बगलामुखी करती है सर्व मनोकामनाएं पूर्ण
लवकुश लम्बरदार👉👇
हिंदी पंचांग के अनुसार, वर्ष में चार नवरात्रि मनाई जाती है। पहली नवरात्रि माघ महीने में मनाई जाती है, जिसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। दूसरी नवरात्रि चैत्र महीने में मनाई जाती है, जिसे चैत्र नवरात्रि कहते हैं। तीसरी नवरात्रि आषाढ़ महीने में मनाई जाती है, जिसे गुप्त नवरात्रि भी कहा जाता है। चौथी और अंतिम नवरात्रि अश्विन माह में मनाई जाती है, जिसे अश्विन नवरात्रि कहा जाता है। इनमें गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधना एवं मनोकामना सिद्धि की जाती है। गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की देवी की पूजा-उपासना की जाती है।दस महाविद्या देवियां काली, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुनेश्वरी, छिन्नमस्ता हैं। इन दस महाविद्या देवियों की पूजा उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती हैं। तंत्र साधना करने वाले साधक कठोर भक्ति कर माता को प्रसन्न कर उनसे मुंहमांगा वर प्राप्त करते हैं। इनमें बगलामुखी आंठवी महाविद्या की देवी हैं। इनका वर्ण स्वर्ण समान है। अतः इन्हें पीतांबरा भी कहा जाता है।
आचार्यों की मानें तो ब्रह्मांड में व्याप्त तरंग की देवी बगलामुखी हैं। मध्य प्रदेश के दतिया में मां बगलामुखी का मंदिर स्थित है। इस मंदिर की स्थापना सन 1935 में की गई थी। यह मंदिर पीताम्बरा पीठ के नाम से दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इतिहासकारों की मानें तो सन 1935 में 'स्वामीजी महाराज' ने दतिया के नरेश के सहयोग से मंदिर का निर्माण करवाया था। तत्कालीन समय में इस जगह पर शमशान हुआ करता था। इससे पूर्व में मंदिर स्थल पर पीठ था इस पीठ की स्थापना श्री स्वामी जी द्वारा किया गया था। इस मंदिर में मां बगलामुखी और धूमावती देवी की प्रतिमा स्थापित है। साथ ही मंदिर परिसर में हनुमान जी, काल भैरव, परशुराम सहित अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित है। इसके अलवा, मंदिर परिसर में संस्कृत पुस्तकालय भी है। तंत्र साधना सीखने वाले साधक संस्कृत पुस्तकालय से गुप्त मंत्रों से संग्रहित पुस्तकें खरीद सकते हैं।।