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एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला होने के संकेत

सुम्बुल राणा, मिथलेश पाल, अरशद राणा, जाहिद हसन, और शाह नजर के बीच होगा चुनावी संग्राम

लेखक अब्दुल आहद चौधरी
सहारनपुर मंडल प्रभारी जय भारत दर्शन समाचार पत्र

मीरापुर विधानसभा उपचुनाव

मुजफ्फरनगर जनपद की मीरापुर विधानसभा उपचुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने जहां अपने-अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं और नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है वही अब जातीय समीकरणों में चुनाव फसता नजर आ रहा है।
आपको बता दे की इंडिया गठबंधन से पूर्व राज्यसभा सांसद मुनकाद अली की पुत्री और पूर्व बसपा सांसद कादिर राणा की पुत्रवधू सुम्बुल राणा को समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया है तो वहीं एनडीए गठबंधन से राष्ट्रीय लोक दल ने मीरापुर के पूर्व विधायक मिथलेश पाल पर एक बार फिर भरोसा जताते हुए मैदान में उतारा है तो वहीं Aimim पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कांग्रेस छोड़कर आए पार्टी में शामिल हुए अरशद राणा को टिकट थमाया है वहीं पहली बार उपचुनाव में किस्मत आजमा रही बसपा ने भी झोज्जा बिरादरी के शाह नजर और आजाद समाज पार्टी से झोज्जा बिरादरी के ही जाहिद हसन को प्रत्याशी बनाया है वैसे आपको बता दे की मीरापुर विधानसभा मुजफ्फरनगर जनपद की चर्चित सीटों में से रही है जहां से पूर्व सांसद अमीर आलम खान पूर्व गृह राज्य मंत्री शाहिद जमा पूर्व सांसद चंदन चौहान पूर्व सांसद कादिर राणा पूर्व सांसद राजपाल सैनी जैसे बड़े दिग्गज नेता विधायक बने हैं तो वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में पैराशूट प्रत्याशी अवतार सिंह भडाना को NDA ने प्रत्याशी बनाकर भेजा था और जीत हासिल हुई थी लेकिन 5 वर्षों तक अवतार सिंह बढ़ाना के क्षेत्र में दर्शन नहीं हुई जिसके चलते NDA प्रत्याशी से मतदाता नाराज नजर आ रहे थे जिसका खामियाजा 2022 के चुनाव में एनडीए को भुगतना पड़ा और इंडिया गठबंधन के सपा रालोद प्रत्याशी चंदन चौहान को जीत हासिल हुई थी उसके बाद चंदन चौहान एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए और एनडीए गठबंधन से बिजनौर से सांसद चुने गए उनके सांसद चुने जाने के बाद मीरापुर विधानसभा सीट रिक्त हो गई जिसका उपचुनाव 13 नवंबर को होना है अब सभी राजनीतिक दल पूरी तरह कमर कसकर चुनावी मैदान में उतर गए हैं राष्ट्रीय लोक दल प्रत्याशी मिथलेश पाल ने जहां मुजफ्फरनगर नगर पालिका के चेयरमैन प्रत्याशी के रूप में राजनीति की शुरुआत की थी और विभिन्न राजनीतिक दलों में रहते हुए राष्ट्रीय लोकदल से एक बार उसे समय की मोरना विधानसभा सीट से विधायक चुनी गई थी जो अब मीरापुर विधानसभा क्षेत्र का ही हिस्सा है इससे पूर्व में मिथलेश पाल 2022 में समाजवादी पार्टी में शामिल हुई थी लेकिन राकेश शर्मा को स्थानीय निकाय चुनाव में प्रत्याशी बनाया गया था जिससे नाराज होकर मिथलेश पाल लोकदल में शामिल हो गई थी एक बार फिर रालोद सुप्रीमो जयंत चौधरी ने मिथलेश पाल पर भरोसा जताया है तो वही इंडिया गठबंधन की प्रत्याशी सुम्बुल राणा जहां जनपद के कद्दावर राजनीतिक घराने राणा परिवार से ताल्लुक रखती हैं और पूर्व सांसद कादिर राणा की पुत्रवधू तथा जनपद मेरठ के कद्दावर नेता पूर्व सांसद मुनकाद अली की बेटी हैं सपा प्रमुख ने राणा परिवार पर भरोसा जताते हुए मीरापुर विधानसभा उपचुनाव में मैदान में उतारा है AIMIM पार्टी ने कांग्रेस छोड़कर AIMIM में शामिल हुए अरशद राणा को प्रत्याशी बनाया है बताया जाता है कि अरशद राणा ने अपनी पत्नी को जिला पंचायत का चुनाव लड़ाया था जिसमें उनकी पत्नी की जमानत भी जप्त हो गई थी इसी कारण बसपा ने उनको 2022 में विधानसभा का टिकट नहीं दिया था 2022 के चुनाव में अरशद राण ने अपनी दूसरी पत्नी को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ाया जिसमें वह एक बार फिर अपनी पत्नी की जमानत बचाने में नाकाम रहे इस बार मीरापुर विधानसभा से कांग्रेस के टिकट की दावेदारी करते हुए चुनाव की तैयारी में अरशद राणा लगे हुए थे सुम्बुल राणा के गठबंधन प्रत्याशी घोषित हो जाने के बाद अरशद राणा ने कांग्रेस छोड़कर ओवैसी का दामन थाम लिया जिसके फल स्वरुप ओवैसी ने उनको अपना प्रत्याशी बनाकर भेजा है तो बसपा प्रमुख मायावती वैसे तो चुनाव से हमेशा दूरी बनाए रखती हैं लेकिन इस बार उपचुनाव में पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरी हैं और मीरापुर विधानसभा उपचुनाव में भी अपना प्रत्याशी शाह नजर को बनाकर भेजा है तथा आजाद समाज पार्टी जो नगीना लोकसभा सीट जीतने के बाद से काफी उत्साहित हैं और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण भी काफी उत्तेजित एवं उत्साहित दिख रहे हैं इसी कारण उन्होंने भी मीरापुर चुनाव में जाहिद हसन को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है अगर बात करें मीरापुर विधानसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की तो यह सीट झोज्जा बिरादरी एवं गुर्जर समाज की बाहुल्य सीट मानी जाती है इसी कारण 2009 में समाजवादी पार्टी ने मौलाना जमील को प्रत्याशी बनाकर भेजा था तो वहीं 2012 में बसपा के टिकट पर ही मौलाना जमील कासमी मोरना विधानसभा से जीतकर विधायक बने थे जबकि 2007 में रालोद के टिकट पर पूर्व सांसद कादिर राणा मोरना से पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे तथा 2009 के उप चुनाव में अपने भाई पप्पू राणा को बसपा से चुनावी मैदान में उतारा था लेकिन तीसरे नंबर पर रहकर संतोष करना पड़ा था। और रालोद की मिथलेश पाल ने जीत दर्ज की थी अब देखना है कि एक बार फिर राणा परिवार और मिथलेश पाल 2009 के बाद मीरापुर विधानसभा में आमने-सामने चुनाव लड़ रहे फर्क बस इतना है कि तब मिथलेश पाल तो रालो से ही प्रत्याशी थी लेकिन राणा परिवार बसपा में था और अब समाजवादी पार्टी में है अब सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी जातीय समीकरण की बिसात बचाने में लगे हुए हैं देखना है कि ऊंट किस करवट बैठता है

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