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रक्षक बने भक्षक बगैर प्रशासनिक अधिकारी मंजूरी के कटवा दिये पेड़ों को।

*पेड़ों कि कटाई कर काष्ठाघर में जमा करना छोड़ किसी अन्य जगह किया गया डंप।*

*छुरिया-* वन परिक्षेत्र खुज्जी कुमरदा के कक्ष क्रमांक 518 में अवैध रूप से बिना किसी परमिशन के 117 खम्हार पेड़ की कटाई किए जाने से ग्राम बागद्वार के ग्रामीणों में वन विभाग के डिप्टी रेंजर व बीट गार्ड के हरकतों से आक्रोशित नजर आए।
मिली जानकारी के अनुसार वन परिक्षेत्र खुज्जी कुमरदा के कक्ष क्रमांक 518 बागद्वार बेलरगोंदी सीमा क्षेत्र में डिप्टी रेंजर और बिटगार्ड की मनमानी के चलते बिना डीएफओ व एसडीओ के परमिशन से खम्हार पेड़ की बेताशा कटाई कर गोला लकड़ी को किसी ठेकेदार के ट्रैक्टर में भरकर ले जाया गया है। जबकि गोला लकड़ी को काष्ठगार सड़क चिरचारी में भेजना छोड़ लकड़ी ठेकेदार के ट्रैक्टर में भरकर किसी अन्य जगह भेजा गया जो नियम विरुद्ध होने पर सवाल उठना लाजिमी है । ग्रामीणों का माने तो वन विभाग के अफसर इतना मनमानी कर रहे हैं जिसका कोई सीमा नहीं है । जबकि ग्राम बागद्वार में वन सुरक्षा समिति होने के बावजूद कोई प्रस्ताव व सहमति लेना उचित नहीं समझा।
वहीं मिली जानकारी अनुसार विभागीय परमिशन वाला हेमर के जगह दूसरा हैमर लकड़ी के ठूठ में लगाया गया है। जबकि जो हैमर का उपयोग किया गया वह लकड़ी की चोरी किए जाने पर बिट गार्ड व्दारा ठूठ मे लगाया जाता हैं। ऐसे में निश्चित ही इस कीमती गोला का हेराफेरी किए जाना कहना गलत नहीं होगा कि रक्षक ही भक्षक का काम कर रहा है?
डिप्टी रेंजर रवि सोनी से इस विषय में जानकारी लिया गया तो उनका कहना है कि 117 खम्हार पेड़ की कटाई का परमिशन के लिए भेजा गया है लेकिन परमिशन अभी आया नहीं है क्योंकि गांव वाले चोरी कर लकड़ी ले जा रहा थे इसलिए यह कटाई किया गया है ।अब सवाल यह उठता है कि वनों का रक्षा करना वन विभाग के कर्मचारियों का जिम्मेदारी है और यदि गांव वाले सूखा लकड़ी ले जा लिये होंगे तो इसमें कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। लेकिन विभाग बिना सिस्टम पूरा किए नियम कानून को ताक में रखकर पेड़ों की कटाई नहीं कर सकता। डिप्टी रेंजर द्वारा गोल-मोल जवाब देकर बचने की कोशिश में नजर आए।
ऐसे में यह कहना ग़लत नहीं होगा पेड़ों की कटाई विभाग द्वारा किया जाना अवैध होगा जिसपर वन विभाग पर सवाल खड़ा होता भी है क्योंकि बिना रेंजर के सहमति से इतने बड़े कार्य को विभाग के उच्च अधिकारी से बिना आदेश प्राप्त कर अंधेरे में रखकर किया जाना कहीं न कहीं रेंजर भी कि सहभागिता को दर्शाता है। क्योंकि बिना रेंजर के जानकारी में इतने पेड़ों कि अवैध कटाई हो ही नहीं सकता इसमें रेंजर की मिली भगत से इनकार नहीं किया जा सकता?
बहरहाल अब देखना होगा कि वन विभाग के उच्च अधिकारी इस मामले में क्या संज्ञान लेते हैं । और ऐसे मनमानी करने वाले अधिकारी कर्मचारी के ऊपर क्या एक्शन होता हैं या फिर खाना पूर्ति कर मामले को रफा दफा कर दिया जाता हैं।

*चंद्रशेखर भंडारी रेंजर*
जानकारी मिलने पर बीट क्रमांक 518 आकर देखा तो 117 पेड़ की मार्किंग किया गया था जिसका परमिशन अधिकारी से रिटर्न नहीं मिला है। पेड़ों कि कटाई की गई है उसका मैं पता करवाता हूं।

*भेष बाई साहू अध्यक्ष वन सुरक्षा समिति बागदवार*

वन सुरक्षा समिति को डिप्टी रेंजर द्वारा कभी भी कोई सूचना नहीं देते हैं और न ही जानकारी देना उचित समझते हैं अभी भी लकड़ी कटाई हुआ है जिसका भी कोई जानकारी वन सुरक्षा समिति को नहीं दिया गया है ।और ना ही किसी प्रकार का कोई प्रस्ताव किया गया है।

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