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पाली सड़कों पर आवारा मवेशियों का कब्जा, राहगीरों और चालकों के लिए खतरा

पाली। पाली कस्बा की सड़कों पर घूमते आवारा मवेशी इन दिनों वाहन चालकों व राहगीरों के लिए खतरा साबित हो रहे हैं। यह समस्या पाली कस्बा की सड़कों पर साफ दिखाई दे रही है। शाम शुरू होने के बाद सड़कों पर मवेशियों का जमावड़ा बढ़ जाता है। सबसे अधिक मवेशी, बस स्टैंड, बाला जी मंदिर, भदौरा पम्प, जिला परिषद इंटर कॉलेज, रेंज चौकी, मैन बाजार, पीपरी मोहल्ला, नदवानी बगीचा पर बैठे रहने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
सुबह से रात तक आवारा पशु सड़क पर डटे रहते है और इन्हें सड़क से भगाने की कोशिश में ही दुर्घटनाएं घट जाती है। सबसे ज्यादा परेशानी साप्ताहिक बाजार के दिन होती है। जब ये आवारा पशु बाजार में घुसकर अव्यवस्था उत्पन्न करते है और इन्हें भागने की कोशिश में लोग भी चोटिल हो जाते है। वहीं मवेशियों के सड़कों पर बैठने पर चालक सीधे वाहन नहीं चला पाते और कई बार मवेशियों को बचाने के चक्कर में दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते है।
हालात यह है कि शाम को जब मवेशी सड़क पर बैठते हैं तो वाहनों को निकलने के लिए जगह ही नहीं मिलती। इन मवेशियों के सड़क पर बैठने के कारण वाहन चालक तो दुर्घटनाग्रस्त होते रहते है। साथ ही वाहनों की टक्कर से मवेशी भी घायल होते रहते हैं। इसके साथ ही आवारा पशु जब आपस में लड़ते हैं तो सड़क से पैदल निकल रहे लोगों सहित दो पहिया वाहन चालकों को भय बना रहता है।
वही कई बार यह मवेशी सड़क किनारे खड़ी बाइक को गिरा देते, जिससे बाईक में भी टूट फूट हो जाती है। कस्बा में आवारा पशुओं का डेरा कभी न खत्म होने वाली समस्या बन गई है। जिसे कभी भी देखा जा सकता है। कस्बा की मुख्य सड़कों पर आवारा मवेशियों का कब्जा होने के पीछे बहुत हद तक पशुपालक भी जिम्मेदार है। मवेशियों से हित साधने के बाद इन्हें सड़कों पर आवारा घूमने के लिए इस तरह छोड़ दिया जाता है। जैसे मवेशी से उनका कोई नाता न हो और दुघर्टना में मवेशी की मौत हो जाने के बाद वे मुआवजा के लिए मवेशियों पर दावा करते है।
लोगों का कहना है कि कस्बा के लोग अपनी गायों को तब तक रखते हैं जब तक वह दूध देती है, जैसे ही गाय दूध देना बंद कर देती है तो वह लोग इन गायों को सड़कों के आसपास छोड़ देते हैं। जिससे सड़कों पर धीरे-धीरे इन आवारा गायों की संख्या बढ़ती जा रही है। अगर कस्बा के लोग अपने अपने मवेशियों पर ध्यान दे तो सड़कों पर बैठने वाले मवेशियों से छुटकारा मिल सकता है। नगर पंचायत द्वारा नगर के कर्मियों द्वारा नगर की सड़कों से आवारा मवेशियों को घेरकर अस्थाई गौशाला में बंद कर दिया जाता है परंतु लोगों द्वारा रात्रि में अस्थाई गौशाला का ताला तोड़कर सभी आवारा मवेशियों को निकाल दिया जाता है।

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