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सुपौल पुल हादसा: विकास के नाम पर लापरवाही का खामियाजा


सुपौल जिले में कोसी नदी पर निर्माणाधीन पुल का गिरना न केवल एक तकनीकी विफलता है, बल्कि इससे प्रशासनिक और ठेकेदारों की लापरवाही की गहरी झलक भी मिलती है। इस हादसे में एक मजदूर की जान चली गई और कई घायल हो गए। यह घटना बिहार में पुल निर्माण के दौरान हो रही दुर्घटनाओं की एक लंबी कड़ी में एक और दुखद उदाहरण है। ऐसा लगता है कि विकास के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं, लेकिन गुणवत्ता और सुरक्षा के मानकों को नजरअंदाज कर दिया जाता है।

पुल निर्माण में बार-बार विफलता:

बिहार में पुल निर्माण से जुड़े हादसे कोई नई बात नहीं हैं। इससे पहले भी भागलपुर और बेगूसराय जैसे जिलों में भी पुल ढहने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इन सभी घटनाओं में जो समानता है, वह है निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कमी और प्रशासनिक अनदेखी। कोसी नदी पर बन रहे इस पुल का उद्देश्य सुपौल और मधुबनी के बीच की दूरी को कम करना था, जिससे क्षेत्र में आवागमन सुगम हो सके, लेकिन अब यह परियोजना सवालों के घेरे में आ गई है।

प्रशासनिक जवाबदेही और गुणवत्ता की अनदेखी:

इस तरह की घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि सरकार की विकास परियोजनाओं में गुणवत्ता की जांच और निगरानी की गंभीर कमी है। यह समझ से परे है कि इतनी बड़ी परियोजनाओं के बावजूद निर्माण कार्यों में बार-बार तकनीकी त्रुटियां कैसे हो जाती हैं। यह न केवल जान-माल की हानि का कारण बनता है, बल्कि सरकारी धन का दुरुपयोग भी है। इस घटना से जुड़ी जांच की घोषणा की गई है, लेकिन सवाल यह है कि क्या

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