logo

रायला में होता है दशहरा के अगले दिन रावण दहन एक अनोखी परंपरा

(अंकुश सिंह जादौन) रायला
बनेड़ा तहसील के उप तहसील क्षेत्र रायला में दशहरे के पर्व के बाद रायला कस्बे में पिछले 18 सालों से दशहरे के दूसरे दिन रावण जलाने की परंपरा चलती आ रही है। रायला कस्बे में रावण जलाने की परंपरा की शुरुआत करने वाले दशहरा सेवा समिति अध्यक्ष रामपाल टेलर ने बताया कि देश में दशहरे के अवसर पर रावण कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले जलाए जाते हैं। लेकिन अन्याय अत्याचार भ्रष्टाचार और व्यभिचार जेसी बुराइयां रावण दहन के बाद खत्म हो जानी चाहिए थी। लेकिन यह बुराइयां रावण के दहन के साथ-साथ ही खत्म नहीं हो रही है बुराइयों के प्रतीक रावण के पुतले को दशहरे के अगले दिन जला कर लोगों के मन में छुपे बुराइयों के प्रतीक रावण को जलाकर देश में राम राज्य जैसी शांति लाने का प्रयास किया जा रहा है। दशहरे के दूसरे दिन रावण जलाने की परंपरा को जारी रखकर दशहरा मेला लगाया जाता है। इस दशहरा मेले में सैकड़ो की तादात में लोग पहुंचकर जलते हुए रावण को देखकर आनंदित होते हैं इसके अलावा इस मेले में मनोरंजन हेतु खाने पीने की व्यवस्था की जाती हैं।
मेला आयोजको ने अतिथियों को मंच पर माला पहना कर मेवाड़ी पगड़ी बंधा कर स्वागत सम्मान किया। रावण दहन कार्यक्रम में शाहपुरा विधानसभा कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र कुमार रेगर, ग्राम पंचायत सचिव सुरेश जीनगर, ओम प्रकाश गग्गड, विश्व हिन्दू परिषद रायला खण्ड अध्य्क्ष रवि शर्मा, राजमल रैगर, देवी लाल माली, सत्य नारायण रैगर, हेड कॉन्स्टेबल रघुनाथ गुर्जर, रामेश्वर माली, गोपाल वैष्णव, राजेंद्र प्रसाद सामरिया, निक्की जादौन, पंकज तिवारी, विक्रम छीपा आदि उपस्थित हुए। मंच संचालन महावीर सुथार ने किया?|

47
9913 views