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लोकप्रिय गायक कलाकार किशोर दा को उनके गीतों से दी श्रद्धांजलि संगीत मंच परिवार ने उनके गीतों को गाकर किया याद.....

झालावाड़ 14 अक्टूबर संगीत मंच परिवार के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में 13 अक्टूबर की शाम अनंग कुमार जैन स्मृति भवन में सुरों की गंगा बह निकली यह अवसर था संगीत सितारे पार्श्वगायक और अभिनेता किशोर कुमार को श्रद्धा सुमन अर्पित करने का, कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया।
संगीत मंच परिवार के अध्यक्ष डा. हेमन्त शर्मा ने किशोर कुमार साहब के जीवन के कई अनछुए पहलुओं को उजागर करते हुए कार्यक्रम का सफ़ल संचालन किया l उन्होंने बताया कि दिलकश मखमली आवाज़ के जादूगर स्व. किशोर कुमार की पुण्यतिथि पर मंच परिवार से संबद्ध हाड़ोती के कई जाने माने गायक कलाकारों ने एक से बढ़कर एक गीत गाकर चहेते कलाकार को श्रद्धांजलि दी, साथ ही संगीत मंच परिवार के सचिव प्रभात सक्सेना ने बताया कि इस कार्यक्रम को लेकर कई दिनों से सभी कलाकार निरंतर अभ्यास कर रहे थे।

कार्यक्रम के दौरान बैडमिंटन क्लब झालरापाटन के सदस्यों द्वारा श्री नरेंद्र गुप्ता की अगुवाई व श्री बसन्त कासट के नेतृत्व में समूची सुप्रभात टीम के सदस्यों ने उपस्थित होकर गायक कलाकारों का भरपूर उत्साहवर्धन किया।
इसके अतिरिक्त खेराज काशवानी, साहित्य परिषद के अध्यक्ष सुरेश निगम, राकेश नैय्यर, दुर्गपुरा उच्च माध्यमिक विद्यालय की वाइस प्रिंसिपल रजनी बाला शर्मा एवं कई गणमान्य श्रोताओं ने कार्यक्रम में शिरकत कर गायक कलाकारों की गायन प्रतिभा की सराहना की।
अध्यक्ष डॉ हेमन्त शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम में आए कलाकारों ने विभिन्न प्रस्तुतियां दी l अदनान खान ने "रे मीत ना मिला रे मन का" कैलाश जी व्यास ने "ये शाम मस्तानी" विनोद गौड़ ने "ओ मेरे दिल के चैन" बाल मुकंद वर्मा ने "अकेला गया था मैं" जिशान अली ने "छूकर मेरे दिल को" धनराज गौड़ ने "ओ हंसिनी" राम लखन शर्मा ने "मेरा जीवन कोरा कागज" सुनाकर श्रोताओं को सम्मोहित कर दिया।
महिपेंद्र सिंह ने "खईके पान बनारस वाला" कमल अग्रवाल ने "मेरे सपनों की रानी सुनाकर दर्शकों को झूमने को मजबूर कर दिया।
डॉ हेमन्त शर्मा ने "फूलों का तारों का" सुनाकर सभी को भाव विहल कर दिया। चेतन शर्मा ने "जीवन से भरी तेरी आंखें" प्रवीण भाटिया ने "चिंगारी कोई भड़के सुनाकर किशोर दा की कशिश भरी आवाज़ को तरोताजा कर दिया।
अकलेरा से आए नीतीश भारद्वाज ने
"अगर तुम ना होते" लक्की हाड़ा ने "मेरे नैना सावन भादों" दुर्गा शंकर ने "रिमझिम गिरे सावन" की सुन्दर प्रस्तुति देकर गीत संगीत में माधुर्य घोल दिया।
धनीराम समर्थ ने "कुछ तो लोग कहेंगे" नीलिमा अग्रवाल ने "मेरे मेहबूब कयामत होगी" अजय शर्मा ने "दिल क्या करे" असलम खान जया ने "मैं तेरे प्यार में पागल" युगल गीत सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उज्ज्वला कनोड़े जितेंद्र कनोड़े ने "कोरा कागज था ये मन मेरा" पाटन से आए सावित्री जी राज कुमार जी ने "तेरे चेहरे से नजर नहीं हटती" सुनाकर श्रोताओं को मदमस्त कर दिया। करण शर्मा ने "चलते चलते" और जया कश्यप ने "तू तू है वही" सचिव प्रभात सक्सेना ने "चंदा ओ चंदा" वहीद खान ने "दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा" सुनाकर समां बांध दिया। हबीब खान ने "जिंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र" आशीष मोदी ने "रोते रोते हंसना सीखो" सुनाया।
झालावाड़ जिले के आसपास के कई क्षेत्रों से पधारे संगीत प्रेमियों ने शिरकत कर इस महान गायक कलाकार के प्रति आस्था व्यक्त की l

किशोर दा ने भारतीय सिनेमा के उस स्वर्ण काल में संघर्ष शुरु किया जब उनके भाई अशोक कुमार एक सफल सितारे के रूप में स्थापित हो चुके थे।
किशोर कुमार भारतीय सिनेमा के मशहूर पार्श्वगायक समुदाय में से एक रहे हैं। वे एक अच्छे पार्श्वगायक गायक होने के साथ-साथ अभिनेता के रूप में भी जाने जाते हैं। हिन्दी फ़िल्म उद्योग जगत में उन्होंने हिंदी भाषा के अलावा अन्य भाषा बंगाली,मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम, उड़िया और उर्दू सहित कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाया था। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए 8 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते और सबसे ज्यादा फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीतने का रिकॉर्ड बनाया है। और उन्हें मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लता मंगेशकर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। 13 अक्टूबर 1987 के बाद से मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा हिंदी सिनेमा में योगदान के लिए "किशोर कुमार पुरस्कार" शुरू किया गया।

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