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श्री रामजी का वनवास भ्रमण



श्री राम जी के लिये मेरे मन मंदिर को मैंने फूलों से सजाया है
मेरे राम चले आओ मैंने आपको मन से बुलाया है

पिताश्री दशरथ जी से 14 बर्ष की वनवास की आज्ञा पाई
छोड़ अयोध्या नगरी चल दिये वनवास भ्रमण को

कैवट को रिजाई के कर गंगा पार चल दिये घनघोर जंगल की ओर

12 बर्ष आपने चित्रकूट में बिताए
फिर चल दिए पंचवटी की ओर

सीता मैया का हुआ धोके से हरण यहां
राम लक्ष्मण ने जानी दुखदाई घटना

दोनो भ्राता चल दिये दक्षिण की ओर
भाँति भाँति की घटनाओं से गुजरे

अनेक ऋषि मुनियों के कर दर्शन विद्या पाई
कर अनेक यज्ञ हवन काया कचंन तपाई

ले हनुमान की वानर सैना साथ आदिवासी की झूंड सैना

हनुमान को भेज लंका में सीता मैया को संदेश भिजवाया

चिंता न करो मातोश्री सीता मैया
राम जल्दी आवत है सबूत में हनुमान ने रींग दिखाई

राम वानर सैना ने लंका पर करी चढाई
हनुमान बलसाई ने सोने की लंका जलाई

रावण परिवार सैना सब हार को गले लगाई
कर वध रावण का चले अयोध्या की ओर

14 बर्षों का बनवास कर ग्रहण पिताश्री की आज्ञा निभाई है
श्रीलंका पर कर अनिति विरुद्ध युद्ध
रावण वध कर श्रीलंका पर विजय पाई है

विजय दशहरा की प्रथा प्राचीन काल से रितीरिवाज बन आई

दस मुख विशाल रावण का पूतला कर खड़ा
उसमे भर फटाखे लोगों ने आग लगाई

अधर्म पर धर्म ने आज के दिन है विजय पाई
इसीलिए विजय दशहरा त्यौहार आज देखने मैं आई

जय श्री विश्वकर्मा जी की
प्रार्थना कर्ता = दलीचंद जांगिड़ सातारा महाराष्ट्र
मोबाइल 9421215933

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