रतन टाटा के निधन पर श्रद्धांजलि स्वरूप यह कविता समर्पित है:
"विरासत के दीप"
वो दीप थे जो जलते रहे,
हर राह को रौशन करते रहे।
सादगी का इक प्रतीक बने,
सबके दिलों में बसी वो छवि रहे।
न व्यापार, न दौलत का अभिमान,
वो थे अपनेपन का मान।
टाटा का नाम जहाँ भी जाए,
वो सेवा का पाठ पढ़ाए।
रतन थे वो, जिनका नाम ही चमक,
हर मुश्किल में बना वो ध्रुव तारा।
जिसने दी नई उड़ान भारत को,
वो था एक स्वप्नद्रष्टा प्यारा।
अब वो नहीं, पर याद रहेगी,
उनकी सोच और उनका ध्येय।
उनके कर्मों से सजी यह धरा,
रहेंगे हम उनके मार्ग पे अडिग सदा।
आँखों में नमी है, दिल में आभार,
किया जो उन्होंने, है अनमोल उपहार।
रतन टाटा, तेरा नाम अमर रहेगा,
तेरे बिना भी तेरा स्वप्न पूरा होगा।
यह कविता उस महान व्यक्ति की श्रद्धांजलि है जिन्होंने समाज और देश को नई ऊँचाइयाँ दीं, पर जीवनभर सादगी और विनम्रता से जुड़े रहे।
कवि अंकित जैन
9479666123