10 अक्टूबर,
विश्व दृष्टि दिवस
नेत्रदान
10 अक्टूबर,
विश्व दृष्टि दिवस
अजब-गजब की दुनिया में ऊपर वाले ने बनाए कैसे-कैसे सिन.....,
आंखें सभी की बनाई ब्लेक व्हाइट पर सपने सभी के रंगीन........!
नेत्रदान
मैने देखी ही नहीं
रंगों से रंगी दुनिया को
मेरी आँखें ही नहीं
ख्वाबों के रंग सजाने को |
*
कौन आएगा ,आँखों मे समाएगा
रंगों के रूप को जब दिखायेगा
रंगों पे इठलाने वालों
डगर मुझे दिखाओं जरा
चल सकू मै भी अपने पग से
रोशनी मुझे दिलाओं जरा
ये हकीकत है कि, क्यों दुनिया है खफा मुझसे
मैने देखी ही नहीं ...........................
*
याद आएगा ,दिलों मे समाएगा
मन के मित को पास पायेगा
आँखों से देखने वालों
नयन मुझे दिलों जरा
देख सकू मै भी भेदकर
इन्द्रधनुष के तीर दिलाओं जरा
ये हकीकत है कि .क्यों दुनिया है खफा मुझसे
मैने देखी ही नहीं ..............................
*
जान जायेगा ,वो दिन आएगा
कोई तो मेरी व्यथा को समझाएगा
रंगों से खेलने वालों
रोशनी मुझे दिलाओं जरा
देख सकू मै भी खुशियों को
आँखों मे रोशनी दे जाओ जरा
ये हकीकत है कि क्यों दुनिया है खफा मुझसे
मैने देखी ही नहीं ................................
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संजय वर्मा "दृष्टि "
१२५, बलिदानी भगत सिंग मार्ग
मनावर (धार )म प्र