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दरियादिल रतन टाटा: सादगी से जीत लेते थे दिल... कंपनी से जुड़े छोटे से छोटे कर्मचारी को भी अपना परिवार मानते थे

देश के जाने-माने उद्योगपति और टाटा संस के आजीवन चेयरमैन एमिरेट्स, रतन टाटा नहीं रहे। 86 साल की उम्र में भी सक्रिय शीर्ष उद्योगपति ने बुधवार रात करीब 11:30 बजे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। टाटा समूह 2023-24 में 13 लाख 85 हजार करोड़ रुपये के राजस्व के साथ दुनिया के सबसे बड़े उद्योग समूहों में से एक है। भारत के रतन कहे जाने वाले दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा अरबपतियों में शामिल होने के बावजूद अपनी सादगी से हर किसी का दिल जीत लेते थे। वह उन शख्सियतों में शुमार थे, जिनका हर कोई सम्मान करता था। कई मौकों पर उन्होंने गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद कर भारतीयों को गर्व महसूस कराया।
रतन टाटा की शख्सियत को देखें, तो वह सिर्फ एक बिजनेसमैन नहीं, बल्कि सादगी से भरे नेक और दरियादिल इन्सान, लोगों के लिए आदर्श और प्रेरणास्रोत भी थे। अपने समूह से जुड़े छोटे से छोटे कर्मचारी को भी अपने परिवार की तरह मानते थे और उनका ख्याल रखने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते थे। उनके व्यक्तित्व का एक और पहलू उम्र के सात दशक पूरे करने के बावजूद सक्रिय रहना रहा। 2011 की बंगलूरू एयर शो की उनकी तस्वीरें आज भी चाहने वालों के दिलो-दिमाग में जीवंत है, जब 73 साल की आयु में रतन टाटा ने एप-17 लड़ाकू विमान के कॉकपिट में उड़ान भरी थी।
विमान उड़ाने और कारों के थे शौकीन
जेआरडी टाटा की तरह रतन टाटा को भी विमान उड़ाने का बहुत शौक था। वह 2007 में एफ-16 फाल्कन उड़ाने वाले पहले भारतीय बने। उन्हें कारों का भी बहुत शौक था। उनके संग्रह में मासेराती क्वाट्रोपोर्टे, मर्सिडीज बेंज एस-क्लास, मर्सिडीज बेंज 500 एसएल और जगुआर एफ-टाइप जैसी कारें शामिल हैं।रतन टाटा को 53 साल की उम्र में 1991 में ऑटो से लेकर स्टील तक के कारोबार से जुड़े टाटा समूह का चेयरमैन बनाया गया था। उन्होंने 2012 तक इस समूह का नेतृत्व किया, जिसकी स्थापना उनके परदादा ने एक सदी पहले की थी। 1996 में टाटा ने टेलीकॉम कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज की स्थापना की और 2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) को मार्केट में लिस्ट कराया था। चेयरमैन पद से हटने के बाद, टाटा को टाटा संस, टाटा इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और टाटा केमिकल्स के मानद चेयरमैन की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
भारतीय उद्योगजगत के शिखर पुरुष रतन टाटा के शानदार सफर का आगाज बेहद साधारण दायित्व से हुआ था। टाटा समूह का उत्तराधिकारी होने के बावजूद रतन ने अपने कॅरिअर की शुरुआत टाटा स्टील के संयंत्र में भट्ठी में चूना डालने वाले कामगार के तौर पर की। वह भी तब जब वह बहुराष्ट्रीय आईटी दिग्गज आईबीएम की मोटे पैकेज वाली नौकरी ठुकराकर समूह से जुड़े थे। बचपन में माता-पिता के अलग हो जाने से रतन का पालन-पोषण 10 वर्ष की आयु तक उनकी दादी लेडी नवाजबाई ने किया। आईबीएम से नौकरी की पेशकश के बावजूद टाटा ने भारत लौटने का फैसला किया।

कुत्तों से करते थे प्यार
रतन टाटा को कुत्ते बहुत प्रिय थे। कुछ साल पहले एक बरसात की शाम टाटा ने आदेश दिया था कि मुंबई में समूह के मुख्यालय के बाहर किसी भी आवारा कुत्ते को आश्रय दिया जाए। यही नहीं टाटा ने 2018 में अपने बीमार कुत्ते की देखभाल के लिए प्रिंस चार्ल्स का न्योता तक ठुकरा दिया था। चार्ल्स उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड देना चाहते थे। चार्ल्स को जब रतन के न आने के कारणों का पता चला तो उन्होंने उनकी खूब सराहना की।
90 के दशक में जब टाटा समूह ने अपनी कार को लॉन्च किया तब बिक्री उम्मीदों के अनुरूप नहीं हो पाई। टाटा समूह ने टाटा मोटर्स के यात्री कार विभाग को बेचने का मन बना लिया। इसके लिए रतन टाटा ने अमेरिकन कार निर्माता कंपनी फोर्ड मोटर्स के अध्यक्ष बिल फोर्ड से बात की। बातचीत के दौरान बिल फोर्ड ने उनका मजाक उड़ाते हुए कहा था कि तुम कुछ नहीं जानते, आखिर तुमने पैंसेजर कार डिविजन शुरू ही क्यों किया? अगर मैं यह सौदा करता हूं तो यह तुम पर बड़ा अहसान करूंगा। फोर्ड चेयरमैन के इन शब्दों से रतन टाटा बहुत आहत हुए और उन्होंने पैंसेजर कार विभाग बेचने का अपना फैसला टाल दिया।

2008 में मिला मौका
बाद के वर्षों में टाटा मोटर्स को रतन ने बुलंदियों पर पहुंचा दिया। दूसरी ओर, फोर्ड कंपनी की हालत बिगड़ती जा रही थी। डूबती फोर्ड कंपनी के प्रमुख लग्जरी ब्रिटिश ब्रांड जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) को वर्ष 2008 में 2.3 अरब डॉलर में खरीदकर अपमान का बदला ले लिया। इतना ही नहीं फोर्ड के चेयरमैन बिल को इस सौदे के लिए भारत आकर टाटा से बातचीत करनी पड़ी। तब अपमानभरी बातें करने वाले बिल फोर्ड ने ही रतन टाटा को धन्यवाद करते हुए कहा, आप जैगुआर और लैंड रोवर सीरीज को खरीदकर हम पर बड़ा अहसान कर रहे हैं।
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दरियादिल रतन टाटा: सादगी से जीत लेते थे दिल... कंपनी से जुड़े छोटे से छोटे कर्मचारी को भी अपना परिवार मानते थे
अमर उजाला ब्यूरो
Published by: ज्योति भास्कर Updated Thu, 10 Oct 2024 06:08 AM IST
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Ratan Tata Personality Simplicity Memories Employees like family members know Tata Sons legend
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रतन टाटा (फाइल) - फोटो : पीटीआई
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देश के जाने-माने उद्योगपति और टाटा संस के आजीवन चेयरमैन एमिरेट्स, रतन टाटा नहीं रहे। 86 साल की उम्र में भी सक्रिय शीर्ष उद्योगपति ने बुधवार रात करीब 11:30 बजे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। टाटा समूह 2023-24 में 13 लाख 85 हजार करोड़ रुपये के राजस्व के साथ दुनिया के सबसे बड़े उद्योग समूहों में से एक है। भारत के रतन कहे जाने वाले दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा अरबपतियों में शामिल होने के बावजूद अपनी सादगी से हर किसी का दिल जीत लेते थे। वह उन शख्सियतों में शुमार थे, जिनका हर कोई सम्मान करता था। कई मौकों पर उन्होंने गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद कर भारतीयों को गर्व महसूस कराया।


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सिर्फ एक बिजनेसमैन नहीं, बल्कि सादगी से भरे प्रेरणास्रोत
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बंगलूरू में एयर शो के दौरान एफ-17 लड़ाकू विमान में सवार होते रतन टाटा (फाइल) - फोटो : पीटीआई
रतन टाटा की शख्सियत को देखें, तो वह सिर्फ एक बिजनेसमैन नहीं, बल्कि सादगी से भरे नेक और दरियादिल इन्सान, लोगों के लिए आदर्श और प्रेरणास्रोत भी थे। अपने समूह से जुड़े छोटे से छोटे कर्मचारी को भी अपने परिवार की तरह मानते थे और उनका ख्याल रखने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते थे। उनके व्यक्तित्व का एक और पहलू उम्र के सात दशक पूरे करने के बावजूद सक्रिय रहना रहा। 2011 की बंगलूरू एयर शो की उनकी तस्वीरें आज भी चाहने वालों के दिलो-दिमाग में जीवंत है, जब 73 साल की आयु में रतन टाटा ने एप-17 लड़ाकू विमान के कॉकपिट में उड़ान भरी थी।

विमान उड़ाने और कारों के थे शौकीन
जेआरडी टाटा की तरह रतन टाटा को भी विमान उड़ाने का बहुत शौक था। वह 2007 में एफ-16 फाल्कन उड़ाने वाले पहले भारतीय बने। उन्हें कारों का भी बहुत शौक था। उनके संग्रह में मासेराती क्वाट्रोपोर्टे, मर्सिडीज बेंज एस-क्लास, मर्सिडीज बेंज 500 एसएल और जगुआर एफ-टाइप जैसी कारें शामिल हैं।
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1991 में बने टाटा समूह के चेयरमैन
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भारत रत्न जेआरडी टाटा के साथ रतन (बाएं) दाहिने महत्वाकांक्षी परियोजना वाली इंडिका कार के साथ - फोटो : अमर उजाला
रतन टाटा को 53 साल की उम्र में 1991 में ऑटो से लेकर स्टील तक के कारोबार से जुड़े टाटा समूह का चेयरमैन बनाया गया था। उन्होंने 2012 तक इस समूह का नेतृत्व किया, जिसकी स्थापना उनके परदादा ने एक सदी पहले की थी। 1996 में टाटा ने टेलीकॉम कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज की स्थापना की और 2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) को मार्केट में लिस्ट कराया था। चेयरमैन पद से हटने के बाद, टाटा को टाटा संस, टाटा इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और टाटा केमिकल्स के मानद चेयरमैन की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
मोटे पैकेज वाली नौकरी ठुकराकर आए
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पियानो बजाते रतन टाटा और किशोरावस्था के दौरान भाई जिमी के साथ - फोटो : अमर उजाला
भारतीय उद्योगजगत के शिखर पुरुष रतन टाटा के शानदार सफर का आगाज बेहद साधारण दायित्व से हुआ था। टाटा समूह का उत्तराधिकारी होने के बावजूद रतन ने अपने कॅरिअर की शुरुआत टाटा स्टील के संयंत्र में भट्ठी में चूना डालने वाले कामगार के तौर पर की। वह भी तब जब वह बहुराष्ट्रीय आईटी दिग्गज आईबीएम की मोटे पैकेज वाली नौकरी ठुकराकर समूह से जुड़े थे। बचपन में माता-पिता के अलग हो जाने से रतन का पालन-पोषण 10 वर्ष की आयु तक उनकी दादी लेडी नवाजबाई ने किया। आईबीएम से नौकरी की पेशकश के बावजूद टाटा ने भारत लौटने का फैसला किया।

कुत्तों से करते थे प्यार
रतन टाटा को कुत्ते बहुत प्रिय थे। कुछ साल पहले एक बरसात की शाम टाटा ने आदेश दिया था कि मुंबई में समूह के मुख्यालय के बाहर किसी भी आवारा कुत्ते को आश्रय दिया जाए। यही नहीं टाटा ने 2018 में अपने बीमार कुत्ते की देखभाल के लिए प्रिंस चार्ल्स का न्योता तक ठुकरा दिया था। चार्ल्स उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड देना चाहते थे। चार्ल्स को जब रतन के न आने के कारणों का पता चला तो उन्होंने उनकी खूब सराहना की।
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फोर्ड की कंपनी खरीदकर लिया अपमान का बदला
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रतन टाटा - फोटो : अमर उजाला
90 के दशक में जब टाटा समूह ने अपनी कार को लॉन्च किया तब बिक्री उम्मीदों के अनुरूप नहीं हो पाई। टाटा समूह ने टाटा मोटर्स के यात्री कार विभाग को बेचने का मन बना लिया। इसके लिए रतन टाटा ने अमेरिकन कार निर्माता कंपनी फोर्ड मोटर्स के अध्यक्ष बिल फोर्ड से बात की। बातचीत के दौरान बिल फोर्ड ने उनका मजाक उड़ाते हुए कहा था कि तुम कुछ नहीं जानते, आखिर तुमने पैंसेजर कार डिविजन शुरू ही क्यों किया? अगर मैं यह सौदा करता हूं तो यह तुम पर बड़ा अहसान करूंगा। फोर्ड चेयरमैन के इन शब्दों से रतन टाटा बहुत आहत हुए और उन्होंने पैंसेजर कार विभाग बेचने का अपना फैसला टाल दिया।

2008 में मिला मौका
बाद के वर्षों में टाटा मोटर्स को रतन ने बुलंदियों पर पहुंचा दिया। दूसरी ओर, फोर्ड कंपनी की हालत बिगड़ती जा रही थी। डूबती फोर्ड कंपनी के प्रमुख लग्जरी ब्रिटिश ब्रांड जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) को वर्ष 2008 में 2.3 अरब डॉलर में खरीदकर अपमान का बदला ले लिया। इतना ही नहीं फोर्ड के चेयरमैन बिल को इस सौदे के लिए भारत आकर टाटा से बातचीत करनी पड़ी। तब अपमानभरी बातें करने वाले बिल फोर्ड ने ही रतन टाटा को धन्यवाद करते हुए कहा, आप जैगुआर और लैंड रोवर सीरीज को खरीदकर हम पर बड़ा अहसान कर रहे हैं।
2008 में मिला भारत का दूसरे सर्वोच्च नागरिक अलंकरण- पद्म विभूषण
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रतन टाटा - फोटो : इंस्टाग्राम @ ratantata
86 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाले रतन टाटा को ढेरों पुरस्कार और खिताब से सम्मानित किया गया था। भारत के 50वें गणतंत्र दिवस समारोह पर उन्हें पद्म भूषण तो 26 जनवरी 2008 में उन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक अलंकरण पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
2008 में वह नैसकॉम ग्लोबल लीडरशिप पुरस्कार प्राप्त करने वालों में से एक थे। ये पुरस्कार उन्हें 14 फरवरी 2008 को मुंबई में एक समारोह में दिया गया था। 2007 में उन्हें टाटा परिवार की ओर से परोपकार का कारनैगी पदक से सम्मानित किया गया था।
रतन टाटा भारत में विभिन्न संगठनों में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत रहे। वह प्रधानमंत्री की व्यापार एवं उद्योग परिषद के सदस्य भी थे। मार्च 2006 में टाटा को कॉर्नेल विश्वविद्यालय की ओर से 26 वें रॉबर्ट एस सम्मान से सम्मानित किया गया था।
रतन टाटा के विदेशी संबंधों में मित्सुबिशी कारपोरेशन, अमेरिकन इंटरनेशनल समूह, जेपी मॉर्गन चेज और बूज एलन हैमिल्टन के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड की सदस्यता शामिल थे। वह रैंड कारपोरेशन और अपनी मातृसंस्था कॉर्नेल विश्वविद्यालय और दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के न्यासी मंडल के भी सदस्य थे। वह दक्षिण अफ्रीका गणराज्य की अंतरराष्ट्रीय निवेश परिषद के बोर्ड के साथ ही न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज के एशिया-पैसिफिक सलाहकार समिति के भी सदस्य थे। वह एशिया पैसिफिक पॉलिसी के रैंड केंद्र के सलाहकार बोर्ड, पूर्व-पश्चिम केंद्र के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में थे और बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के भारत एड्स इनिशीएटिव कार्यक्रम बोर्ड में सेवाएं दे चुके थे।

30 स्टार्टअप को दिया सहारा
टाटा समूह से हटने के बाद, रतन टाटा ने नए जमाने की तकनीक से प्रेरित स्टार्टअप कंपनियों में निवेश किया, जो देश के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। टाटा ने ओला इलेक्ट्रिक, पेटीएम, स्नैपडील, लेंसकार्ट और ज़िवामे सहित 30 से अधिक स्टार्टअप में निवेश किया।

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