एक सच का चश्मा सबको पहनना पड़ता है
"एक सच का चश्मा सबको पहनना पड़ता है।""लोगों के झूठे और फरेबी बुनियादों में सच और झूठ को आंकना पड़ता है।""देर-सवेर कभी निकले हम घर से सपनों की दुनिया एक बसाने, फिर रास्तों में खोई हुई मंजिलों में बसर करना पड़ता है।""खोजे खोजे भगवान, पाये पाये माया फिरते, ऐसे जीवन में खुद के अस्तित्व को भूल जाना पड़ता है।""इस माया से एक दिन सबको निकलना पड़ता है।""सूरज की किरणों से भी अधिक चमकने का साहस और चाँद सा निर्मल हो जाना पड़ता है। सार का अंत और अंत में ही सारा...सार है। खुद को ढूंढने के लिए खुद में ही खो जाना पड़ता है। एक सच का चश्मा सबको पहनना पड़ता है, इस माया से एक दिन सबको निकलना पड़ता है। ~ ईशा