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बिहार में बाढ़ से हाहाकार

कोसी को बिहार का शोक कहा जाता है। राज्य में कोसी ने कोहराम मचा रक्षा है। सैकड़ों गांव टापू बन चुके हैं। छतों पर लोग अटके हुए हैं।

बिहार में तबाही का मंजर है। लेकिन नेताओं को क्या? जनप्रतिनिधियों का क्या काम? चुनाव आएगा, फिर से जाति-जाति का रोना रोकर वोट मांगेंगे। बिहार में हर साल बाढ़ आती है।

लेकिन आजतक किसी पार्टी, किसी नेता ने अपने घोषणापत्र में बाढ़ से निजात पाने की घोषणा किया क्या? इसके लिए फंड लाया क्या? हर साल बाढ़ आती है। हज़ारों लोग बेघर होते हैं। तब हवाई यात्रा पर सरकार निकलती है।

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