राजस्थान में हुआ लाईलाज कैंसर का इलाज़, रामबाण दवा का हुआ आविष्कार
राजस्थान में हुआ लाइलाज Cancer की ‘रामबाण’ दवा का आविष्कार, 47 साल के रिसर्च का आया सुखद नतीजा
Good News: medicine for incurable cancer invented in Rajasthan
राजस्थान प्रदेश के साधारण एवं किसान परिवार में पले बढ़े व्यक्ति ने जड़ी बूटियों से लाइलाज कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज के लिए दवा तैयार की है। वैज्ञानिक पद्धति से भी दवा का परीक्षण सफल हो चुका है। एनसीसीएस-पुणे में टेस्ट सफल होने के बाद एनबीए एवं एमडी एंडरसन ह्यूस्टन (यूएसए) ने दवा को सफल करार दिया है। अब पेटेन्ट मिलने के बाद भारत सरकार की ओर से कैंसर की हर्बल दवा तैयार की जाएगी।
राजस्थान के दौसा जिले के नांगल-लोटवाड़ा निवासी विष्णु कुमार शर्मा (64) ने इस हर्बल दवा का आविष्कार किया है। वे पिछले 47 साल से अनुसंधान कर रहे हैं। वर्ष 2005 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान भारत ( NIF) से जुड़ने के बाद भारत सरकार की ओर से दवा का परीक्षण यूएसए से भी करवाया गया है। पेटेन्ट भी जल्द मिल जाएगा। वे अब तक 36 आविष्कार कर चुके हैं।
अजमेर में आयुर्वेदिक निदेशालय में शुक्रवार को राजस्थान पत्रिका से बातचीत में अनुसंधानकर्ता शर्मा ने बताया कि परीक्षण आदि का खर्च भारत सरकार वहन कर रही है।
वैज्ञानिक तरीके से यहां हुआ परीक्षण
– नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन अहमदाबाद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार।
– नेशनल सेन्टर फोर सेल साइंस पुणे (एनसीसीएस- पुणे)।
– साइंस वेलीडेशन भारत सरकार।
– नेशनल बायोडाइवरसिटी ऑथोरिटी (एनबीए) में 17 अक्टूबर 2016 को अप्रूव्ड
– एमडी एंडरसन ह्यूस्टन (यूएसए) ने भी परीक्षण सफल।
दवा का उत्पादन जल्द होगा शुरू
कैंसर की हर्बल दवा का उत्पादन जल्द भारत सरकार करेगी। नौ जड़ी बूटियां (औषधि) शामिल हैं। कुछ स्थानीय व कुछ अलग प्रांतों में पैदा होती हैं। आविष्कृत औषधि से सैकड़ों कैंसर रोगी स्वस्थ हो चुके हैं। इससे कैंसर की चौथी स्टेज के मरीज भी ठीक हुए हैं। वे हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू के हाथों राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं।
आयुर्वेद विभाग की भी योजना आयुर्वेद विभाग राजस्थान की ओर से भी कैंसर रोग निदान के लिए हर्बल मेडिसिन व संबंधित जड़ी-बूटियों के उत्पादन को लेकर तैयारी की जाएगी। वहीं अनुसंधानकर्ता के माध्यम से जनहित में कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
ऐसे हुई शुरुआत
शर्मा ने बताया कि उनके बाबा को कैंसर था। दादा-दादी से बचपन में जड़ी बूटियों के बारे में सुनता था। बाद में कई जड़ी बूटियां जंगल में ढूंढी। आयुर्वेदिक कई पुस्तकें, ग्रंथ पढ़ता और औषधियां तलाश करता। आयुर्वेदिक ग्रंथ से ही इन दवाइयों की तलाश की। कुछ औषधियों को वे अब अपने खेत पर तैयार कर रहे हैं।
आयुर्वेदिक चिकित्सा संस्थान के लिए कैंसर की हर्बल औषधि के पेटेन्ट के बाद कैंसर रोगियों को राहत मिलेगी। इनकी ओर से सैकड़ों मरीजों का इलाज किया गया है। देश के प्रमुख परीक्षण केन्द्रों से औषधि का परीक्षण करवाया गया जो सफल रहा है।- वी. के. शर्मा, एमडी, पैथोलॉजी एवं सहायक निदेशक, आयुर्वेद निदेशालय
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