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न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका, समान रूप से, विना भेदभाव के कार्य करते हैं तो ये न्याय व्यवस्था है। देश को सुदृढ़ बन

, कार्यपालिका, विधान्यायपालिकायिका, समान रूप से, विना भेदभाव के कार्य करते हैं तो ये न्याय व्यवस्था है। देश को सुदृढ़ बनाने का मार्ग है। नफ़रत फैलाकर सत्ता की कुर्सी तो हासिल हो सकती है, लेकिन साम्प्रदायिक सौहार्द के ताने-बाने को बिखेर देती है। जिसके चलते सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है।
मौजूदा हालात को ध्यान रखते हुए भाईचारा कायम हो। शासन इसके ठोस क़दम उठाए और प्रशासन उसका अक्षरशः पालन करे। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को समाज की पहली प्राथमिकता समझे, रोटी कपड़ा मकान हर व्यक्ति की पहली आवश्यकता है। शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार से इसे हासिल किया जा सकता है। भयमुक्त समाज की स्थापना देश को उन्नति की और ले जाने में अग्रसर होगी।
किसी भी देश की उन्नति उसकी राष्ट्रीय एकता पर निर्भर है। सरकार स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा दे, ठीक यूरोपीय प्रोडक्ट की तरह।

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