
सैकड़ो बीघा के हरे-भरे बगीचे में अवैध प्लाटिंग कर बेच डाले प्लॉट,धीरे-धीरे जड़ सहित पेड़ों का किया जा रहा सफाया
विकासनगर तहसील क्षेत्र में लगातार आम के हरे भरे बाग बगीचों को उजाड़ कर अवैध प्लाटिंग का खेल धडेल्ले से चल रहा है। हरे भरे सैकड़ो आम और लीची के खड़े पेड़ों के बावजूद बाग बगीचो की छोटे-छोटे प्लाटों में रजिस्ट्री कर दी जाती है और तहसील प्रशासन इस बात से अनभिज्ञ है।
आपको बता दे की विकासनगर के ब्लाक्की वाला में सड़क किनारे एक बहुत बड़ा सैकड़ो बीघा आम और लीची का बगीचा है जिसको भूमाफियाओं को अलग-अलग टुकड़े में बेच दिया गया है और जिसमें पीछे की तरफ सैकड़ो पेड़ों को जड़ सहित उखाड़ कर चटियाला मैदान बनाकर अवैध प्लाटिंग कर प्लॉट बेच दिए गए हैं और बाकायदा पक्की सीसी रोड भी बना दी गई है जिसका ना तो उद्यान विभाग, जंगलात विभाग, और एमडीडीए ने अब तक कोई संज्ञान लिया है और ना ही उनके पास अब तक किसी प्रकार की कोई जानकारी है और सूत्रों से जानकारी मिली है जो हैरत की बात है कि अभी इसमें आगे की तरफ सैकड़ो आम और लीची के हरे-भरे पेड़ खड़े होने के बावजूद छोटे-छोटे प्लाटों के रूप में तहसील से रजिस्ट्री भी कर दी गई है और भूमाफिया धीरे-धीरे पेड़ों का जड़ से सफाई करने में लगे हुए हैं जिसमें भूमाफिया पहले तो कुछ पेड़ों को गिरा देते हैं फिर उसके बाद जंगलात विभाग से उन पेड़ों की निकासी की अनुमति गिरे पेड़ दिखाकर आराम से ले लेते हैं जो उनको आसानी से मिल भी जाती है।
आपको बता दें कि इस सैकड़ो बिघा बाग को कुछ टुकड़ों में विभाजन कर अलग-अलग भूमाफियाओं को बेच दिया गया है अब यह भूमाफिया 1500 से लेकर 1800 रूपए स्क्वायर फीट के रेट में प्लॉट बेचे जा रहे हैं जैसे ही कोई प्लॉट बिकता है वैसे ही भूमाफिया उन प्लॉटों में आ रहे पेड़ों को गिरा देते हैं फिर उसकी निकासी की अनुमति लेकर गिराए गए पेड़ों की लकड़ी आराम से बाहर कर देते हैं जिससे भूमाफियाओं को इतनी संख्या में खड़े पेड़ों को काटने की अनुमति भी नहीं लेनी पड़ती है और इसमें भूमाफियाओं ने ना तो इस भूमि का कोई लैंड यूज चेंज कराया है नाही कोई नक्शा पास कराया है ना ही इन भूमाफियाओं के पास किसी प्रकार का कॉलोनाइजर का लाइसेंस प्राप्त है। इसमें भूमाफिया बड़े स्तर पर राजस्व शुल्क की भी चोरी कर रहे हैं। इतने बड़े स्तर पर सैकड़ो बीघा में खड़े आम और लीची के बगीचे में अवैध प्लाटिंग का खेल चल रहा है जिसकी खबर तहसील प्रशासन उद्यान विभाग और एमडीडीए को ना मिली हो यह एक गंभीर चिंता का विषय है।