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कभी हमारे गुलाम थे-काफिर, आज मुस्लिमों का ही हो रहा-शोषण, जम्मू-कश्मीर में चुनाव से-बौखलाया ISIS

कुख्यात इस्लामी आतंकी संगठन ISIS की शाखा IS-K ने हाल ही में अपनी पत्रिका ‘वॉइस ऑफ खुरासान’ के एक अंक में जम्मू-कश्मीर के बारे में जहर उगला है। इस पत्रिका में इस संगठन ने कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनावों के प्रति अपनी बौखलाहट को व्यक्त करते हुए मुस्लिम समुदाय को भड़काने का प्रयास किया है। इसमें कहा गया है कि कश्मीर काफिरों (इस्लाम में गैर-मुस्लिमों के लिए अपमानजनक संबोधन) के नियंत्रण में है और इसके लिए जिहाद (इस्लामी जंग) का समय आ गया है।

पत्रिका में ‘कश्मीर: द पैराडाइज अंडर द कंट्रोल ऑफ इनफिडेल्स’ शीर्षक से कहा गया है कि एक समय था जब इस्लाम ने दुनिया पर राज किया, और भारत से लेकर अंदलूसिया (स्पेन) तक किसी काफिर ने मुस्लिमों का अपमान करने की हिम्मत नहीं की। उस समय अल्लाह की धरती पर अल्लाह की शरीयत का शासन था। इस संदर्भ में, संगठन ने अतीत की घटनाओं को महिमामंडित करते हुए दावा किया है कि काफिर इस गर्वीली उम्माह को जजिया दिया करते थे और इसके हर हुक्म का पालन करते थे। पत्रिका में यह भी बताया गया है कि एक समय जब इस्लाम के अनुयायी एकजुट थे, तब वे अरब प्रायद्वीप से आए युवाओं की तरह अपने समाज की रक्षा के लिए कट्टरपंथी कदम उठाते थे। ISIS ने जोर देकर कहा है कि इस्लाम के अनुयायी एक हाथ में तलवार और दूसरे में कुरान रखते थे, जिससे काफिरों में भय व्याप्त था।

IS-K ने कश्मीर को उत्पीड़न और उजाड़ का प्रतीक बताते हुए लिखा है कि यह पूर्वी तुर्किस्तान की तरह इस्लाम के लोगों के लिए जेल बन गया है। पत्रिका में कहा गया है कि कश्मीर, जिसे कभी धरती का ‘जन्नत’ माना जाता था, अब हिंदू बहुदेववादियों द्वारा शासित है। संगठन ने यह भी दावा किया है कि कश्मीर का प्रत्येक शहर और गाँव गुलामी और उत्पीड़न से कराह रहा है, और हर घर में मुस्लिमों की चीखें सुनाई दे रही हैं। अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद घाटी में लौटे शांति के माहौल से तिलमिलाए इस आतंकी संगठन ने झूठ फैलाया है कि कश्मीर में मुस्लिमों को किसी न किसी बहाने जेलों में डाला जा रहा है और उनके अपहरण की घटनाएँ हो रही हैं। हालांकि, वास्तविकता इसके बिल्कुल विपरीत है, जहाँ चुनाव प्रक्रिया में स्थानीय लोगों ने शानदार भागीदारी की है।

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