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किन्नर समाज को सम्मानित स्थान दिलाने में गोरक्षपीठ का विशेष योगदान है - महामंडलेश्वर कनकेश्वरी नंद गिरी

गोरखपुर । विश्व हिंदू महासंघ गोरखपुर द्वारा 12 से 18 सितंबर तक राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश महंत अवेद्यनाथ जी महराज की 10वीं पुण्यतिथि मनाई गई। आज 18 सितंबर को महराज जी के बीजमंत्र " सामाजिक समरसता हिंदुत्व का प्राण" विषय पर श्री विश्वकर्मा पंचायत मंदिर, जटाशंकर, गोरखपुर प्रांगण में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए किन्नर कल्याण बोर्ड, उत्तर प्रदेश की सदस्य एवं विश्व हिंदू महासंघ किन्नर प्रकोष्ठ की प्रदेश उपाध्यक्ष श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर कनकेश्वरी नंद गिरी ने अपने संबोधन में कहा कि वर्षों से किन्नर समाज उपेक्षाओं का दंश झेल रहा था। गोरक्षपीठ के बड़े महराजजी राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन अवेद्यनाथ जी ने सामाजिक समरसता में किन्नर समाज को सम्मानित स्थान दिलाने में अहम भूमिका निभाई। हमारे किन्नर समाज की पहचान ताली बजाकर आम लोगों से जोर जबरदस्ती से उगाही करने भर सीमित थी। परंतु गोरक्षपीठ ने किन्नर समाज को सम्मानित पद प्रतिष्ठा प्रदान की। सामाजिक समरसता की परंपरा को हमारे पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महराज अच्छी तरह निभा रहे हैं। उन्होंने प्रदेश स्तर पर किन्नर समाज के कल्याण के लिए किन्नर कल्याण बोर्ड का गठन किया है, जिसमें मुझे भी सदस्य के रूप में स्थान मिला।

कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन अवेद्यनाथ जी महाराज के चित्र पर अतिथियों, वक्ताओं, विश्व हिंदू महासंघ के पदाधिकारियों एवं सदस्यों द्वारा माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि करके उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि देने से हुई। इसके पश्चात अतिथियों का सम्मान माल्यार्पण, अंगवस्त्र एवं बाबा गोरखनाथ की फ्रेमयुक्त तस्वीर देकर किया गया।

संगोष्ठी का संचालन एवं विषय प्रवर्तन करते हुए जिला मीडिया प्रभारी श्याम बाबू शर्मा ने राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ जी के बीजमंत्र "सामाजिक समरसता हिंदुत्व का प्राण" को उद्धृत करते हुए कहा कि महराज जी का यह उद्धरण केवल शब्द नहीं हैं, बल्कि हिंदुत्व की आत्मा का सार है। हिंदुत्व केवल एक धार्मिक विचारधारा नहीं है, बल्कि यह एक जीवन दर्शन है, जो सभी जीवों में समानता, सहिष्णुता और करुणा का संदेश देता है। महंत जी का जीवन इसी दर्शन का प्रत्यक्ष उदाहरण रहा। उन्होंने हमेशा समाज के सभी वर्गों के लोगों को एक साथ लाने का प्रयास किया और उन्हें एकता के सूत्र में पिरोने का संदेश दिया।

अतिथि वक्ताओं में प्रदेश मंत्री राजन जायसवाल ने विश्व हिंदू महासंघ की गांव, तहसील, वार्ड, पंचायत, मुहल्ला स्तर पर सदस्यता अभियान चलाने का आह्वान किया। इससे हिंदुओं को एक सूत्र में पिरोकर समाज को मजबूत किया जा सकता है।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए गोरक्ष संभाग प्रभारी दिग्विजय किशोर शाही ने कहा कि बड़े महराज जी हिंदू एकता पर आजीवन बल देते रहे। उन्होंने सामाजिक समरसता के लिए जीवनपर्यंत कार्य किया। मंडल प्रभारी डॉ कमलेश शाही ने ब्रह्मलीन महराज जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।

जिला अध्यक्ष राजेश्वरी प्रसाद विश्वकर्मा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि महंत अवेद्यनाथ जी की शिक्षाएं आज भी हमें समाज में शांति और एकता को बनाए रखने की प्रेरणा देती हैं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे जितनी भी कठिनाइयाँ और बाधाएँ हों, हमें अपने सिद्धांतों और आदर्शों पर डटे रहना चाहिए। समाज के प्रति उनकी सेवा और समर्पण हमारे लिए प्रेरणादायक है और हमें उनके पदचिह्वों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।

संगोष्ठी को महानगर अध्यक्ष डॉ गिरीश चंद्र द्विवेदी, महानगर महामंत्री जयप्रकाश मिश्र, महानगर उपाध्यक्ष (मातृशक्ति) स्नेहलता पाठक ने भी संबोधित किया। संगोष्ठी के उपरांत मुख्य अतिथि, अन्य विशिष्ट अतिथियों एवं पदाधिकारियों द्वारा 10 दीप प्रज्ज्वलित करके राष्ट्रसंत को विदाई दी गई। इस अवसर पर लीला श्रीवास्तव, आशा शर्मा, रंजना श्रीवास्तव, बीना गौड़, प्रेमनाथ दूबे, सत्येंद्र सिंह, मीरा दूबे, शीला सिंह, सत्यभामा, संतोष विश्वकर्मा, गिरजेश कुमार, ज्ञान सिंह, उदयचंद शर्मा, रविशंकर शर्मा, डॉ शिवचंद गौड़, राकेश तिवारी, विजय पासवान, योगेेन्द्र प्रताप नारायण गिरी, प्रेम प्रकाश दूबे, निखिल कुमार श्रीवास्तव, नीरज कुमार श्रीवास्तव, विजय पासवान, अनुराधा श्रीवास्तव, किरण पांडेय, अंजलि पांडेय, अजय पांडेय, शिवम साहनी सहित विश्व हिंदू महासंघ के अनेक पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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