पर्युषण पर्व के समापन पर निकली शोभा यात्रा
*पर्युषण पर्व के समापन पर निकली शोभा यात्रा*
मगरोंन। पर्युषण पर्व प्रारम्भ से समापन तक सभी दिगम्बर जैन धर्म को मानने वाले अनुयाई 10 दिनों तक भगवान की विशेष पूजा अर्चना साधना करते है। पर्युषन पर्व का अपना अलग महत्व होता है, इसमें 7 प्रकार के सिदांतो का पालन करना पड़ता है।आत्मा की शुद्धि: पर्युषण पर्व का मुख्य उद्देश्य आत्मा को शुद्ध करना होता है. इस त्योहार के दौरान जैन धर्म के लोग व्रत, तपस्या, और ध्यान करते हैं.
आत्म-चिंतन: पर्युषण पर्व आत्म-चिंतन और आत्म-शुद्धि का अवसर है. इस दौरान जैन धर्म के लोग अपने मन और आत्मा को समृद्ध करने पर ध्यान लगाते हैं.
गलत कामों से बचना: पर्युषण पर्व के दौरान जैन धर्म के लोग भविष्य में गलत काम न करने की शपथ लेते हैं.
पर्यावरण का शोधन: पर्युषण पर्व के दौरान पर्यावरण का शोधन किया जाता है.
संयम और विवेक का अभ्यास: पर्युषण पर्व के दौरान जैन धर्म के लोग संयम और विवेक का अभ्यास करते हैं.
सालभर के दोषों का दूर होना: माना जाता है कि सालभर के सांसारिक क्रिया-कलापों के कारण जीवन में जो भी दोष आ जाते हैं, उन्हें यह पर्व दूर करता है. जैन धर्म के सिद्धांतों का पालन: पर्युषण पर्व के दौरान जैन धर्म के लोग जैन धर्म के सिद्धांतों का पालन करने का प्रयास करते हैं. पर्युषण पर्व के समापन अवसर पर मगरोंन में भगवान श्री जी की भव्य शोभा यात्रा निकाली गई जिसमे जैन मंदिर से प्रारम्भ होकर बस्ती में भ्रमण उपरान्त समापन किया गया शोभा यात्रा का जगह जगह स्वागत किया गया। शोभा यात्रा में जैन समाज के साथ मगरोंन के सभी समाज के लोग शोभा यात्रा में शामिल रहे।